उदयवीर को अपने बेटे की बॉडी को घर ले जाने के लिए अस्पताल की तरफ से एंबुलेंस नहीं मुहैया कराई गई.(फाइल फोटो)
इटावा:
ओडिशा के दाना माझी की तरह के एक मामले में रोता-बिलखता मजदूर उदयवीर अपने 15 साल के बेटे को कंधे पर उठाए अस्पताल पहुंचा. अस्पताल में उसको न ही स्ट्रेचर और न ही एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया. उदयवीर का कहना है कि इटावा के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने उसके बेटे पुष्पेंद्र का इलाज भी नहीं किया. उदयवीर ने कहा, ''उन्होंने कहा कि लड़के के शरीर में अब कुछ नहीं बचा है...उसके बस पैरों में दर्द था. डॉक्टरों ने मेरे बच्चे को बस चंद मिनट देखा और कहा कि इसे ले जाओ.'' अपने बच्चे के इलाज के लिए पिता दो बार अपने गांव से सात किमी दूर अस्पताल ले गया लेकिन उसको बचाया नहीं जा सका. डॉक्टरों ने बॉडी को ले जाने के लिए एंबुलेंस या शव वाहन की सेवा मुहैया कराने का प्रस्ताव भी नहीं दिया. उल्लेखनीय है कि गरीबों के लिए यह सेवा मुफ्त है. (यहां देखिए इस खबर से जुड़ा वीडियो)
उसके बाद शोक में डूबे उदयवीर को बेटे को अपने कंधे पर उठाए ले जाते हुए अस्पताल से देखा गया. इस दौरान किसी ने मोबाइल फोन कैमरा से यह वीडियो बनाया. बाद में एक बाइक से बॉडी को घर ले गया. इस बारे में उदयवीर ने कहा, ''किसी ने मुझसे नहीं कहा कि बेटे की बॉडी को ले जाने के लिए एंबुलेंस या ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध है.''
जब इस मामले में जिले के टॉप स्वास्थ्य अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस घटना को 'शर्मनाक' बताया. उन्होंने कहा कि जब बच्चे को सोमवार दोपहर को अस्पताल लाया गया था तब तब उसकी मौत हो चुकी थी. चीफ मेडिकल ऑफिसर राजीव यादव ने कहा, ''मुझे बताया गया कि एक बस एक्सीडेंट केस में उस वक्त डॉक्टर व्यस्त थे, सो वह उदयवीर से यह नहीं पूछ सके कि क्या बॉडी को ले जाने के लिए उसको किसी ट्रांसपोर्ट की जरूरत है. हालांकि इस मामले में कार्रवाई की जाएगी...इसमें कोई शक नहीं कि इससे अस्पताल की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है और यह हमारी गलती है.''
सोमवार को कर्नाटक में एक ऐसी ही दुखद घटना में एक पिता को अपने तीन साल के बेटे की बॉडी को लिए हुए अस्पताल में इंतजार करना पड़ा और अंत में टू-व्हीलर से बॉडी लेकर घर जाना पड़ा. उसको भी अस्पताल की एंबुलेंस सेवा के बारे में नहीं बताया गया और अस्पताल के स्टाफ ने भी उसकी मदद नहीं की.
उल्लेखनीय है कि पिछले साल अगस्त में दीना माझी को जब अपनी पत्नी की बॉडी को कंधे पर लादे ले जाते देखा गया तो पूरा देश विचलित हो उठा था. दीना माझी को भी अस्पताल की तरफ से कोई शव वाहन या एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराया गया था.
उसके बाद शोक में डूबे उदयवीर को बेटे को अपने कंधे पर उठाए ले जाते हुए अस्पताल से देखा गया. इस दौरान किसी ने मोबाइल फोन कैमरा से यह वीडियो बनाया. बाद में एक बाइक से बॉडी को घर ले गया. इस बारे में उदयवीर ने कहा, ''किसी ने मुझसे नहीं कहा कि बेटे की बॉडी को ले जाने के लिए एंबुलेंस या ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध है.''
जब इस मामले में जिले के टॉप स्वास्थ्य अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस घटना को 'शर्मनाक' बताया. उन्होंने कहा कि जब बच्चे को सोमवार दोपहर को अस्पताल लाया गया था तब तब उसकी मौत हो चुकी थी. चीफ मेडिकल ऑफिसर राजीव यादव ने कहा, ''मुझे बताया गया कि एक बस एक्सीडेंट केस में उस वक्त डॉक्टर व्यस्त थे, सो वह उदयवीर से यह नहीं पूछ सके कि क्या बॉडी को ले जाने के लिए उसको किसी ट्रांसपोर्ट की जरूरत है. हालांकि इस मामले में कार्रवाई की जाएगी...इसमें कोई शक नहीं कि इससे अस्पताल की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है और यह हमारी गलती है.''
सोमवार को कर्नाटक में एक ऐसी ही दुखद घटना में एक पिता को अपने तीन साल के बेटे की बॉडी को लिए हुए अस्पताल में इंतजार करना पड़ा और अंत में टू-व्हीलर से बॉडी लेकर घर जाना पड़ा. उसको भी अस्पताल की एंबुलेंस सेवा के बारे में नहीं बताया गया और अस्पताल के स्टाफ ने भी उसकी मदद नहीं की.
उल्लेखनीय है कि पिछले साल अगस्त में दीना माझी को जब अपनी पत्नी की बॉडी को कंधे पर लादे ले जाते देखा गया तो पूरा देश विचलित हो उठा था. दीना माझी को भी अस्पताल की तरफ से कोई शव वाहन या एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराया गया था.
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