दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) ने धोखाधड़ी के एक मामले (Fraud Case) में आरोपी व्यक्ति को अनुमति दी है कि अगर कोविड-19 से निपटने के लिए लगे लॉकडाउन के कारण वह राष्ट्रीय राजधानी आने में सक्षम नहीं है तो वह उत्तरप्रदेश (UP) में जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर सकता है. इससे पहले सत्र अदालत ने उसकी अंतरिम जमानत रद्द कर दी थी. न्यायमूर्ति बृजेश सेठी ने कहा कि अगर आरोपी ने उत्तर प्रदेश में जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं किया जो उसे रेल या सड़क मार्ग से दिल्ली आकर तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण करना होगा.
आरोपी ने अपनी अंतरिम जमानत बढ़ाने के लिये याचिका दायर करते हुए कहा था कि कोविड-19 से निपटने के लिए लगे लॉकडाउन के कारण उत्तर प्रदेश में फंसा है और दिल्ली नहीं आ पा रहा है. उसकी इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत का यह निर्देश आया.पुलिस ने उसकी याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि मेट्रोपोलिटियन मजिस्ट्रेट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत रद्द करते हुए सत्र अदालत ने कहा था कि उसकी जमानत बढ़ाई नहीं जाएगी. सत्र अदालत के फैसले पर गौर करते हुए हाईकोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप नहीं करने का निर्णय लिया.
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी ट्रेन से आ रहा है तो रेलवे प्रशासन टिकट देने में उसे तरजीह देगा, क्योंकि उसे तिहाड़ जेल के समक्ष तत्काल आत्मसमर्पण करना है. आरोपी के ट्रेन से नहीं आ पाने पर जांच अधिकारी को खुद जाकर उसे ट्रेन या सड़क मार्ग से लाने का निर्देश दिया गया है. इस निर्देश के साथ अदालत ने आरोपी की याचिका का निस्तारण कर दिया.
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