क्या लंदन से पढ़कर आई 27-वर्षीय नौक्षम चौधरी BJP को दिलवा पाएंगी मुस्लिम-बहुल इलाके में जीत

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 (Haryana Assembly Elections 2019) में मेवात जिले (Mewat district) की पुन्हाना सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रत्याशी 27-वर्षीय नौक्षम चौधरी (Nauksham Chaudhary) की उपलब्धियां इस तरह की हैं, जैसी आमतौर पर इस इलाके में किसी प्रत्याशी की नहीं सुनी गईं.

क्या लंदन से पढ़कर आई 27-वर्षीय नौक्षम चौधरी BJP को दिलवा पाएंगी मुस्लिम-बहुल इलाके में जीत

पुन्हाना सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रत्याशी 27-वर्षीय नौक्षम चौधरी

मेवात:

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 (Haryana Assembly Elections 2019) में मेवात जिले (Mewat district) की पुन्हाना सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रत्याशी 27-वर्षीय नौक्षम चौधरी (Nauksham Chaudhary) की उपलब्धियां इस तरह की हैं, जैसी आमतौर पर इस इलाके में किसी प्रत्याशी की नहीं सुनी गईं. दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस (Miranda House) कॉलेज से इतिहास की स्नातक होने के अलावा उनके पास इटली से लक्ज़री ब्रांड मैनेजमेंट और लंदन से कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री है. मुस्लिम-बहुल जिले में इस सीट पर BJP का ट्रैक रिकॉर्ड काफी खराब रहा है, सो, नौक्षम के लिए यह चुनौती है.

नौक्षम के पिता रिटायर्ड जज हैं, और उनकी मां हरियाणा सरकार के राजस्व विभाग में वरिष्ठ अधिकारी हैं. नौक्षम सिर्फ एक महीना पहले भारत लौटी हैं और उनका कहना है कि इलाके में विकास को गति देने के लिए राजनीति में चली आई हैं. उन्होंने कहा, "प्राइवेट सेक्टर में मेरा शानदार करियर था, जहां मैं दुनिया के सबसे बड़े ब्रांडों के लिए पब्लिक रिलेशन्स एक्ज़ीक्यूटिव के रूप में काम कर रही होती... बदलाव इसलिए आया, क्योंकि यह मेरा पुश्तैनी इलाका है... अविकसित है, और पिछड़ा है... राजनैतिक रूप से परिदृश्य ऐसा है, जहां आलोचना धर्म के आधार पर होती है, और नेता जनता का शोषण करने के इच्छुक हैं... मैं इलाके में महिला सशक्तीकरण और शिक्षा के लिए काम करना चाहती हूं... मेरे माता-पिता ने मुझे इन्हीं मूल्यों के साथ पढ़ाया है कि अगर आप कुछ अच्छा करना चाहते हैं, तो आपको शिक्षित होना होगा..."

BJP के लिए यह सीट जीत पाना मुश्किल होगा. पुन्हाना मुस्लिम-बहुल मेवात जिले में है, जिसमें लगभग पांच लाख मतदाता हैं. लगभग 80 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं, और शेष हिन्दू. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देशव्यापी लोकप्रियता की लहर के बावजूद पार्टी मेवात की तीन विधानसभा सीटों - पुन्हाना, फिरोज़पुर झिरका और नूंह - पर दूसरा स्थान भी हासिल नहीं कर पाई थी. लेकिन नौक्षम चौधरी को पूरा भरोसा है कि इस बार नतीजा कतई अलग होगा. उन्होंने कहा, "यहां का आम आदमी समझ चुका है कि BJP ही राज्य और केंद्र में सरकार बना रही है, और अगर वे विकास और विधानसभा में प्रतिनिधित्व चाहते हैं, तो उन्हेंBJP को ही चुनना होगा..."

नौक्षम चौधरी से कांग्रेस (Congress) के मोहम्मद इलियास (Mohammad Iliyas) मुकाबिल हैं, जिन्होंने वर्ष 2009 में यह सीट जीती थी. मोहम्मद इलियास का कहना है कि वह नौक्षम के प्रोफाइल से प्रभावित नहीं हैं, और शिक्षा जैसे मुद्दों के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा, "यह अच्छी बात है कि उन्होंने विदेश से पढ़ाई की है, और वह काबिल हैं... वह हमारे लिए बहन-बेटी जैसी हैं, लेकिन राजनीति के सबक तजुर्बे से ही मिलेंगे... किताबें पढ़ने से तजुर्बा नहीं मिलता है, और मेरा मानना है कि 2024 के बाद वह वहीं चली जाएंगी, जहां से वह आई हैं... बहुत लम्बे वक्त से यहां के लोगों की मांग अपने बच्चों के लिए शिक्षा की है, एक यूनिवर्सिटी की है... यहां अधिकतर किशोर निरक्षर ही रह जाते हैं, और ड्राइवर के तौर पर काम करते हैं... लेकिन यहां ड्राइवर का लाइसेंस पाने के लिए भी सलीके की प्रक्रिया नहीं है, और उसके लिए कई-कई दिन तक चक्कर काटने पड़ते हैं... मैं उसे बदल डालूंगा..."

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वर्ष 2018 में नीति आयोग की रिपोर्ट ने मेवात को भारत का सबसे पिछड़ा जिला घोषित किया था. खराब सड़कें, गड्ढे, कचरे के ढेर पूरे इलाके में आम नज़र आते हैं. स्वास्थ्य संकेतक, विशेष रूप से महिलाओं के मामले में, काफी खराब हैं. बहुत बड़ी तादाद में महिलाएं तथा बच्चे एनीमिया (खून की कमी) के शिकार हैं. यहां के लोगों के लिए विकास का मुद्दा ही तय करेगा कि वे किसे वोट देंगे. पुन्हाना निवासी मोहम्मद ज़ुबैर का कहना है, "मैं BJP का साथ दूंगा, क्योंकि हमारा मानना है कि वे हमारे बच्चों को शिक्षित कर उन्हें नौकरियां दिलवाएंगे... सड़कें टूटी पड़ी हैं, और बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं है..." एक अन्य निवासी ऐजाज़ खान ने कहा, "हम कांग्रेस को वोट देंगे... मोहम्मद इलियास ने बहुत अच्छा काम किया था, जब वह विधायक थे, और बिजली और पानी जैसी मूलभूत ज़रूरतों की आपूर्ति को बेहतर किया था... हमें यूनिवर्सिटी की ज़रूरत है... आसपास कोई कॉलेज नहीं है, और हमारे बच्चे ऊंची शिक्षा पाने से वंचित रह जाते हैं..."