हरियाणा में गुरुग्राम की सीट चुनाव के लिहाज से काफी मायने रखती है क्योंकि यह वह शहर है, जिससे हरियाणा की पहचान है. गुरुग्राम हरियाणा का स्मार्ट शहर होने के साथ-साथ राज्य का प्रमुख वित्तीय और औद्योगिक केंद्र है. यहां की 84.4 फीसदी आबादी साक्षर है और यही वजह है कि यहां का मतदाता हरियाणा की तकदीर तय करता है. 1258 स्क्वायर किलोमीटर में फैले इस विधानसभा क्षेत्र की आबादी 15 लाख के करीब है. कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख के आसपास है.
गुरुग्राम में बीजेपी कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय लोकदल के बीच होगा. 2014 के चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला की आईएनएलडी यहां दूसरे नंबर पर रही थी. यहां फिलहाल बीजेपी की सरकार है और उमेश अग्रवाल विधायक हैं, जिन्होंने पिछले चुनाव में कभी बीजेपी की सहयोगी रही आईएनएलडी के गोपीचंद गहलोत को 84095 वोटों के बड़े अंतर से हराकर रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी. फिलहाल यहां उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है लेकिन माना जा रहा है कि उमेश एक बार फिर यहां से चुनावी समर में कूदने की तैयारी में हैं.
गुरुग्राम में 1987 के बाद दूसरी बार 2014 में बीजेपी ने वापसी की थी. चूंकि पिछले विधानसभा चुनाव में भारी मतों से यह सीट बीजेपी के कब्जे में आई थी. इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि इस बार भी बीजेपी लौट सकती है. हालांकि तमाम विकास के दावों के बीच यहां उचित बुनियादी ढांचे की कमी, बिजली, पानी की समस्या और बढ़ती अपराध दर जैसे मुद्दे अहम हैं. साथ ही इस बार नौकरी एक बड़ा मसला है. मंदी के दौर में काफी लोगों की नौकरी गई है और बीते पांच सालों में यहां की सरकार रोजगार सृजन करने में कुछ खास कामयाब नहीं रही है. ऐसे में ये सब मुद्दे इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
बता दें हरियाणा में आगामी 21 अक्टूबर को चुनाव होने जा रहे हैं और 24 अक्टूबर को नतीजे भी आ जाएंगे. राज्य में कुल 90 सीटें हैं, जिनमें से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. मनोहर लाल खट्टर ही इस बार भी मुख्यमंत्री पद का यहां चेहरा हैं. उन्हीं के नेतृत्व में 2014 में राज्य की कुल 90 सीटों में से 47 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर 19 सीटों के साथ भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (आईएनएलडी) रही थी. वहीं सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस के खाते में सिर्फ 15 सीटें ही आईं थीं.
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