किसानों से संबंधित तीन विधेयकों (farm sector bills) के खिलाफ शिरोमणि अकाली दल नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल Harsimrat Kaur Badal) के इस्तीफे को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने नौटंकी बताया है. बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (SAD) की इकलौती मंत्री ने गुरुवार को केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीन विधेयकों के विरोध में मंत्री पद से इस्तीफ दे दिया. हरसिमरत कौर ने ट्वीट कर लिखा, 'मैं इस मुद्दे पर किसानों के साथ हूं और मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है.' हरसिमरत ने आगे लिखा कि किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है.
हरसिमरत (Harsimrat Kaur Badal) के इस्तीफे के बाद पंजाब की सियासत में उथल-पुथल होना तय था. राज्य के सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amrinder Singh) ने अकाली दल के इस कदम पर तुंरत चुटकी है. कैप्टन ने इसे अकालियों की नौटंकी बताया और कहा कि कि हरसिमरत को किसानों की कोई चिंता नहीं है वो सिर्फ अपनी राजनीतिक जमीन बचाने की कोशिश कर रही है.
कैप्टन ने अपने ट्वीट में लिखा, "केंद्रीय मंत्रिमंडल छोड़ने का हरसिमरत कौर का निर्णय अकाली दल द्वारा जारी नाटकों की लंबी श्रृंखला की एक और कड़ी है, जिसने अभी भी सत्तारूढ़ गठबंधन नहीं छोड़ा है. इन्हें किसानों की कोई चिंता नहीं है, बल्कि अपने घटते राजनीतिक कद की चिंता है. बहुत छोटा और बहुत देरी से उठाया गया कदम."
Harsimrat Kaur's decision to quit Union Cabinet is another in the long chain of theatrics being enacted by @Akali_Dal_ which has still not quit ruling coalition. It's motivated not by any concern for farmers but to save their own dwindling political fortunes. Too little too late.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) September 17, 2020
केंद्र सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में किसानों से संबंधित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 लेकर आई है. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक मंगलवार को लोकसभा से पारित हो गया.
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गौरतलब है कि पूरे पंजाब में किसान इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह ने इन बिलों को 'कोरोना वायरस से भी बदतर' बताया है. उन्होंने कहा कि यदि इन्हें लागू किया गया तो किसान, आढ़तिये और कृषि मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे.
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