गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पांड्या (Haren Pandya) की साल 2003 में हुई हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) शुक्रवार को फैसला सुनाएगा. यह फैसला आरोपों का सामना कर रहे 12 लोगों को बरी करने के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई और गुजरात सरकार की अपीलों पर दिया जाएगा. न्यायाधीश अरुण मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ एनजीओ 'सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' (सीपीआईएल) की जनहित याचिका पर भी फैसला सुनाएगी जिसमें इस हत्या की अदालत की निगरानी में फिर से जांच कराने की मांग की गई है. पांड्या गुजरात में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री थे.
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पांड्या की अहमदाबाद में सुबह की सैर के दौरान लॉ गार्डन के करीब 26 मार्च 2003 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. सीबीआई के अनुसार, राज्य में 2002 के साम्प्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए उनकी हत्या की गई. सीबीआई और राज्य पुलिस ने गुजरात उच्च न्यायालय के 29 अगस्त 2011 के फैसले को गलत बताते हुए अपील दायर की.
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उच्च न्यायालय ने 12 लोगों को हत्या के आरोपों से बरी करते हुए निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें उन्हें आपराधिक साजिश, हत्या की कोशिश और आतंकवाद रोधी कानून (पोटा) के तहत अपराधों में दोषी ठहराया गया. उच्चतम न्यायालय ने इस साल 31 जनवरी को अपीलों पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. (इनपुट:भाषा)
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