हरदा / भोपाल:
मध्य प्रदेश के हरदा में पुलिस और प्रशासन ने 14 दिनों से जारी जल सत्याग्रह को जबरन रोक दिया है। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को सुने बगैर इन्हें जबरन पानी से निकाल दिया।
कई सत्याग्रहियों की सेहत को देखते हुए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है, साथ ही प्रशासन ने एहतियात के तौर पर इलाके में धारा 144 लागू कर दी है और यहां प्रदर्शनकारियों के फिर से जुटने पर पाबंदी लगा दी गई है। खंडवा में जारी जल सत्याग्रह में सरकार झुक गई थी, लेकिन हरदा में प्रशासन और सरकार के तेवर बिल्कुल बदले हुए हैं।
प्रदर्शनकारियों ही नहीं, बल्कि मीडिया के साथ भी प्रशासन मनमानी कर रहा है। बुधवार सुबह जब एनडीटीवी के रिपोर्टर सिद्धार्थ रंजन दास मौके पर रिपोर्टिंग करने पहुंचे, तो वहां उनके ओबी वैन की केबल काट दी गई।
सुबह 5:30 बजे कई एंबुलेंस मंगाई गईं और 6:15 बजे पुलिस ने जल सत्याग्रहियों को हटाना शुरू कर दिया। पांच मिनट के अंदर पुलिस ने सत्याग्रहियों के तंबू गिरा दिए। सुबह पौने सात बजे तक पुलिस ने सारे सत्याग्रहियों को हटा दिया।
हरदा के सत्याग्रहियों की मांग है कि इंदिरा सागर बांध के जलस्तर को 260 मीटर पर लाया जाए। ये लोग जमीन के बदले जमीन और पुनर्वास की मांग भी कर रहे हैं। बांध का जलस्तर बढ़ने से हरदा के 29 गांव प्रभावित हुए हैं और हजारों एकड़ जमीन डूब गई है। तीन गांव तो पूरी तरह से पानी में समा चुके हैं।
कई सत्याग्रहियों की सेहत को देखते हुए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है, साथ ही प्रशासन ने एहतियात के तौर पर इलाके में धारा 144 लागू कर दी है और यहां प्रदर्शनकारियों के फिर से जुटने पर पाबंदी लगा दी गई है। खंडवा में जारी जल सत्याग्रह में सरकार झुक गई थी, लेकिन हरदा में प्रशासन और सरकार के तेवर बिल्कुल बदले हुए हैं।
प्रदर्शनकारियों ही नहीं, बल्कि मीडिया के साथ भी प्रशासन मनमानी कर रहा है। बुधवार सुबह जब एनडीटीवी के रिपोर्टर सिद्धार्थ रंजन दास मौके पर रिपोर्टिंग करने पहुंचे, तो वहां उनके ओबी वैन की केबल काट दी गई।
सुबह 5:30 बजे कई एंबुलेंस मंगाई गईं और 6:15 बजे पुलिस ने जल सत्याग्रहियों को हटाना शुरू कर दिया। पांच मिनट के अंदर पुलिस ने सत्याग्रहियों के तंबू गिरा दिए। सुबह पौने सात बजे तक पुलिस ने सारे सत्याग्रहियों को हटा दिया।
हरदा के सत्याग्रहियों की मांग है कि इंदिरा सागर बांध के जलस्तर को 260 मीटर पर लाया जाए। ये लोग जमीन के बदले जमीन और पुनर्वास की मांग भी कर रहे हैं। बांध का जलस्तर बढ़ने से हरदा के 29 गांव प्रभावित हुए हैं और हजारों एकड़ जमीन डूब गई है। तीन गांव तो पूरी तरह से पानी में समा चुके हैं।
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