अहमदाबाद:
पिछली बार अमित शाह गुजरात आए और मीटिंग करके पटेल आरक्षण आंदोलन की काट के तौर पर 10 प्रतिशत सवर्ण गरीबों के लिए अलग आरक्षण घोषित किया. इस बार भी अमित शाह गुजरात आए सुबह 9 बजे और 11 बजे हाई कोर्ट का फैसला आया जिसमें इस आरक्षण को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यह गैरकानूनी और असंवैधानिक है.
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि यह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट की उस गाइडलाइन का सरासर उल्लंघन है जिसमें आरक्षण से लिए 50 प्रतिशत की मर्यादा तय की गई है. कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि यह आरक्षण देने से पहले राज्य सरकार ने कोई अभ्यास नहीं करवाया था कि क्या आरक्षण की जरूरत है?
पटेल आरक्षण की आग शांत करने के लिए सरकार का कदम
पिछले साल अगस्त से शुरू हुए पटेल आरक्षण आंदोलन के आग पकड़ने के बाद गुजरात सरकार ने इस साल एक मई को अध्यादेश जारी करके गरीब सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण घोषित किया था. कहा गया था कि जिन भी जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता उन जातियों के बच्चों को, जिनकी सालाना पारिवारिक आय 6 लाख से कम है, इस आरक्षण का शिक्षा और रोजगार में लाभ मिलेगा.
फिर आंदोलन करने की धमकी
पटेल आंदोलनकारी नेता पहले से इसे खारिज करते हुए यह कहते दिखे कि यह असंवैधानिक है. अब कोर्ट ने उस पर मोहर लगा दी. अब आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने कहा है कि संवैधानिक तौर पर आरक्षण की उनकी मांग नहीं मानी गई तो फिर आंदोलन हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि ''आज कोर्ट ने यह साबित कर दिया कि देश का संविधान महान है. भाजपा अगर इसी प्रकार राज्य की जनता को गुमराह करती रहेगी तो मैं यही कहूंगा कि 2017 में गुजरात में कमल नहीं खिलेगा.''
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी राज्य सरकार
दूसरी ओर सरकार बचाव की मुद्रा में दिखी. गुजरात सरकार के प्रवक्ता नितिन पटेल ने कहा कि राज्य सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. उन्हें इसके लिए स्टे के तौर पर 15 दिन की मोहलत भी मिल गई है. लेकिन इस फैसले ने गुजरात में आने वाले मुख्यमंत्री के लिए पटेल आरक्षण की चुनौती फिर खड़ी कर दी है.
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि यह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट की उस गाइडलाइन का सरासर उल्लंघन है जिसमें आरक्षण से लिए 50 प्रतिशत की मर्यादा तय की गई है. कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि यह आरक्षण देने से पहले राज्य सरकार ने कोई अभ्यास नहीं करवाया था कि क्या आरक्षण की जरूरत है?
पटेल आरक्षण की आग शांत करने के लिए सरकार का कदम
पिछले साल अगस्त से शुरू हुए पटेल आरक्षण आंदोलन के आग पकड़ने के बाद गुजरात सरकार ने इस साल एक मई को अध्यादेश जारी करके गरीब सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण घोषित किया था. कहा गया था कि जिन भी जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता उन जातियों के बच्चों को, जिनकी सालाना पारिवारिक आय 6 लाख से कम है, इस आरक्षण का शिक्षा और रोजगार में लाभ मिलेगा.
फिर आंदोलन करने की धमकी
पटेल आंदोलनकारी नेता पहले से इसे खारिज करते हुए यह कहते दिखे कि यह असंवैधानिक है. अब कोर्ट ने उस पर मोहर लगा दी. अब आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने कहा है कि संवैधानिक तौर पर आरक्षण की उनकी मांग नहीं मानी गई तो फिर आंदोलन हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि ''आज कोर्ट ने यह साबित कर दिया कि देश का संविधान महान है. भाजपा अगर इसी प्रकार राज्य की जनता को गुमराह करती रहेगी तो मैं यही कहूंगा कि 2017 में गुजरात में कमल नहीं खिलेगा.''
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी राज्य सरकार
दूसरी ओर सरकार बचाव की मुद्रा में दिखी. गुजरात सरकार के प्रवक्ता नितिन पटेल ने कहा कि राज्य सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. उन्हें इसके लिए स्टे के तौर पर 15 दिन की मोहलत भी मिल गई है. लेकिन इस फैसले ने गुजरात में आने वाले मुख्यमंत्री के लिए पटेल आरक्षण की चुनौती फिर खड़ी कर दी है.
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