कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी
अहमदाबाद:
गुजरात में कांग्रेस अपने हेडक्वार्टर में इसी हफ्ते शिफ्ट करने वाली है। इसके लिए अच्छे मुहूर्त के लिए जन्माष्टमी का दिन भी तय किया गया है। खास बात यह है कि नया कार्यालय वास्तु के हिसाब से अच्छा रहे इसका खास ख्याल रखा गया है।
गुजरात कांग्रेस के सचिव भाविन व्यास ने बताया कि पुराना कार्यालय वास्तुशास्त्र के हिसाब से शुभ नहीं लग रहा था। नए कार्यालय को विशेष तौर पर वास्तु को ध्यान में रखकर बनाया गया है। पुराने कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष का कार्यालय दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाला था, जबकि नए कार्यालय में ये ध्यान रखा गया है कि पूर्व और पश्चिम दिशा में ये कार्यालय हो जो कि वास्तु की दृष्टी से ज्यादा शुभ माना जा रहा है। ऐसे में कोंग्रेस को उमीद है कि अब उसका भाग्य गुजरात में बदलेगा।
पुराना कार्यालय जिसे राजीव गांधी भवन नाम दिया गया था वह 1987 में बना था और उसके बाद से हुए राज्य के तमाम चुनाव कांग्रेस हारती रही है। इसीलिए कांग्रेस को पिछले कुछ समय से लगने लगा था कि राजीव गांधी भवन में ही कुछ गड़बड़ है। अब नए कार्यालय में जाने की जल्दबाजी भी इसलिये है कि जन्माष्टमी अच्छा मुहूर्त है और राज्य में छह महानगरपालिका और अन्य स्थानीय चुनाव अक्टूबर में होने हैं।
भाजपा कांग्रेस के इस कदम का मखौल उड़ा रही है। भाजपा प्रवक्ता जगदीश भावसार कहते हैं कि अब कांग्रेस लोगों से जुड नहीं पा रही है इसलिये अब भाग्य का सहारा ले रही है, लेकिन गुजरात में फिर भी कांग्रेस दोबारा खड़ी नहीं हो पाएगी।
इस बीच कांग्रेस को इसका फायदा होता है या नहीं ये तो आने वाले चुनावों में ही पता चल पाएगा, लेकिन दूसरे तथ्य यह हैं कि कांग्रेस शायद वास्तुशास्त्र के मुताबिक, अपने कार्यालय को सही कर ले, लेकिन पार्टी नेतृत्व में जो बड़े पैमाने पर खेमेबाज़ी है उसे खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर अब तक कांग्रेस अंधेरे में नज़र आ रही है। पाटीदार आरक्षण का मुद्दा राज्य में बहुत समय से गरमाया हुआ है, लेकिन अब तक कांग्रेस ने इस पर अपना रुख साफ नहीं किया है और अब भी असमंजस में है।
गुजरात कांग्रेस के सचिव भाविन व्यास ने बताया कि पुराना कार्यालय वास्तुशास्त्र के हिसाब से शुभ नहीं लग रहा था। नए कार्यालय को विशेष तौर पर वास्तु को ध्यान में रखकर बनाया गया है। पुराने कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष का कार्यालय दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाला था, जबकि नए कार्यालय में ये ध्यान रखा गया है कि पूर्व और पश्चिम दिशा में ये कार्यालय हो जो कि वास्तु की दृष्टी से ज्यादा शुभ माना जा रहा है। ऐसे में कोंग्रेस को उमीद है कि अब उसका भाग्य गुजरात में बदलेगा।
पुराना कार्यालय जिसे राजीव गांधी भवन नाम दिया गया था वह 1987 में बना था और उसके बाद से हुए राज्य के तमाम चुनाव कांग्रेस हारती रही है। इसीलिए कांग्रेस को पिछले कुछ समय से लगने लगा था कि राजीव गांधी भवन में ही कुछ गड़बड़ है। अब नए कार्यालय में जाने की जल्दबाजी भी इसलिये है कि जन्माष्टमी अच्छा मुहूर्त है और राज्य में छह महानगरपालिका और अन्य स्थानीय चुनाव अक्टूबर में होने हैं।
भाजपा कांग्रेस के इस कदम का मखौल उड़ा रही है। भाजपा प्रवक्ता जगदीश भावसार कहते हैं कि अब कांग्रेस लोगों से जुड नहीं पा रही है इसलिये अब भाग्य का सहारा ले रही है, लेकिन गुजरात में फिर भी कांग्रेस दोबारा खड़ी नहीं हो पाएगी।
इस बीच कांग्रेस को इसका फायदा होता है या नहीं ये तो आने वाले चुनावों में ही पता चल पाएगा, लेकिन दूसरे तथ्य यह हैं कि कांग्रेस शायद वास्तुशास्त्र के मुताबिक, अपने कार्यालय को सही कर ले, लेकिन पार्टी नेतृत्व में जो बड़े पैमाने पर खेमेबाज़ी है उसे खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर अब तक कांग्रेस अंधेरे में नज़र आ रही है। पाटीदार आरक्षण का मुद्दा राज्य में बहुत समय से गरमाया हुआ है, लेकिन अब तक कांग्रेस ने इस पर अपना रुख साफ नहीं किया है और अब भी असमंजस में है।
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