नई दिल्ली:
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के स्वतंत्र कामकाज के विषय पर उच्चतम न्यायालय की तीखी टिप्पणी के बाद वित्तमंत्री पी चिदम्बरम की अगुवाई में गुरुवार को एक मंत्रिसमूह ने इस एजेंसी को अधिक स्वायत्तता एवं अधिक वित्तीय शक्तियां देने के तौर तरीकों पर चर्चा की।
मंत्रिसमूह को उसकी पहली बैठक में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया। इसमें उस प्रावधान को हटाने का विरोध किया गया जिसमें सीबीआई के लिए भ्रष्टाचार के मामले में संयुक्त सचिव या उसके ऊपर के अधिकारी के खिलाफ जांच के वास्ते सरकार से अनुमति लेना जरूरी होता है।
बैठक से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि सीबीआई के निदेशक को और वित्तीय शक्तियां देने के प्रस्ताव को बैठक में बहुत ज्यादा समर्थन नहीं मिला। बैठक में चिदम्बरम, कानूनमंत्री कपिल सिब्बल, विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद, कार्मिक राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने हिस्सा लिया।
केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे इस बैठक में भाग नहीं ले पाए क्योंकि वह अमेरिका में हैं।
मंत्रिसमूह की करीब एक घंटे तक चली बैठक के बाद चिदम्बरम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें कार्मिक विभाग ने उच्चतम न्यायालय के आदेश से अवगत कराया। हमें वर्तमान कानूनों, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, सीवीसी अधिनियम के बारे में बताया गया। हमारे सामने विनीत नारायण फैसला भी रखा गया। हमने उन मुद्दों की पहचान की जिनका हल किया जाने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती को अगली बैठक के बुलाया गया है क्योंकि वह इस मामले में पेश हुए थे और उच्चतम न्यायालय के आदेश में उनका जिक्र है।
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई निदेशक रणजीत सिन्हा बाद में मंत्रिसमूह के सामने अपनी बात रखेंगे।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रिसमूह के कुछ सदस्यों ने ज्यादा वित्तीय शक्तियां देने की चर्चा की लेकिन महसूस किया गया कि इस कदम से अन्य बलों एवं एजेंसियों के प्रमुख भी ऐसी मांग कर सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि मंत्रियों ने इस बात पर विचार किया कि सीबीआई के कामकाज में बदलाव मामूली हो या व्यापक। उसके बाद तय किया गया कि जनता के मूड को ध्यान में रखकर व्यापक बदलाव किए जाएं।
प्रधानमंत्री ने सीबीआई को बाहरी प्रभाव से दूर रखने के लिए मसौदा कानून तथा उच्चतम न्यायालय में पेश किए जाने के लिए मसौदा हलफनामा का तैयार करने के लिए मंत्रिसमूह बनाया था। उच्चतम न्यायालय ने कोयला जांच की मसौदा रिपोर्ट मंत्री के साथ साझा करने को लेकर सीबीआई को ‘पिंजरे में बंद’ तोता बताया था। कपिल सिब्बल ने कहा कि आज चर्चा बहुत ही प्राथमिक स्तर पर थी।
मंत्रिसमूह को उसकी पहली बैठक में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया। इसमें उस प्रावधान को हटाने का विरोध किया गया जिसमें सीबीआई के लिए भ्रष्टाचार के मामले में संयुक्त सचिव या उसके ऊपर के अधिकारी के खिलाफ जांच के वास्ते सरकार से अनुमति लेना जरूरी होता है।
बैठक से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि सीबीआई के निदेशक को और वित्तीय शक्तियां देने के प्रस्ताव को बैठक में बहुत ज्यादा समर्थन नहीं मिला। बैठक में चिदम्बरम, कानूनमंत्री कपिल सिब्बल, विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद, कार्मिक राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने हिस्सा लिया।
केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे इस बैठक में भाग नहीं ले पाए क्योंकि वह अमेरिका में हैं।
मंत्रिसमूह की करीब एक घंटे तक चली बैठक के बाद चिदम्बरम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें कार्मिक विभाग ने उच्चतम न्यायालय के आदेश से अवगत कराया। हमें वर्तमान कानूनों, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, सीवीसी अधिनियम के बारे में बताया गया। हमारे सामने विनीत नारायण फैसला भी रखा गया। हमने उन मुद्दों की पहचान की जिनका हल किया जाने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती को अगली बैठक के बुलाया गया है क्योंकि वह इस मामले में पेश हुए थे और उच्चतम न्यायालय के आदेश में उनका जिक्र है।
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई निदेशक रणजीत सिन्हा बाद में मंत्रिसमूह के सामने अपनी बात रखेंगे।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रिसमूह के कुछ सदस्यों ने ज्यादा वित्तीय शक्तियां देने की चर्चा की लेकिन महसूस किया गया कि इस कदम से अन्य बलों एवं एजेंसियों के प्रमुख भी ऐसी मांग कर सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि मंत्रियों ने इस बात पर विचार किया कि सीबीआई के कामकाज में बदलाव मामूली हो या व्यापक। उसके बाद तय किया गया कि जनता के मूड को ध्यान में रखकर व्यापक बदलाव किए जाएं।
प्रधानमंत्री ने सीबीआई को बाहरी प्रभाव से दूर रखने के लिए मसौदा कानून तथा उच्चतम न्यायालय में पेश किए जाने के लिए मसौदा हलफनामा का तैयार करने के लिए मंत्रिसमूह बनाया था। उच्चतम न्यायालय ने कोयला जांच की मसौदा रिपोर्ट मंत्री के साथ साझा करने को लेकर सीबीआई को ‘पिंजरे में बंद’ तोता बताया था। कपिल सिब्बल ने कहा कि आज चर्चा बहुत ही प्राथमिक स्तर पर थी।
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