राफेल मामले (Rafale deal) पर मचे घमासान के बीच सरकार मंगलवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट को संसद में रखेगी. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. इस सौदे को लेकर संसद में भी खूब हंगामा हुआ है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी फ्रांसीसी कंपनी से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के इस सौदे में कथित घोटाले एवं गड़बड़ी को लेकर सत्तासीन भाजपा और विशेषतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर बने हुए हैं. सत्तारूढ़ दल ने इन आरोपों को खारिज किया है. सूत्रों ने कहा कि सरकार इस सौदे पर कैग की रिपोर्ट संसद के पटल पर रखेगी.
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मौजूदा 16वीं लोकसभा का वर्तमान सत्र बुधवार को समाप्त हो रहा है और यह संभवत: इसका आखिरी सत्र है. अप्रैल-मई में आम चुनाव के बाद 17वीं लोकसभा का गठन होगा. CAG की रिपोर्ट को लेकर पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को सवाल उठाए थे. उन्होंने इस मामले में हितों के टकराव की बात भी कही थी. सिब्बल ने कहा कि मौजूदा कैग राजीव महर्षि सौदे के समय वित्त सचिव थे और इस सौदे से जुड़े थे. ऐसे में उन्हें इसकी ऑडिट से अपने को अलग कर लेना चाहिए. हालांकि केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सिब्बल के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि 'मनगढ़ंत' तथ्यों के आधार पर कांग्रेस कैग जैसे संस्थान पर कलंक लगा रही है.
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अरुण जेटली ने रविवार को ट्वीट की एक सीरीज में कहा, 'गलत तथ्यों के आधार पर 'संस्थानों को नुकसान पहुंचाने वाले' कैग जैसे संस्थान पर हमला कर रहे हैं. सरकार में 10 साल तक रहने के बाद भी यूपीए के मंत्री यह नहीं जानते कि वित्त सचिव ऐसा पद है जो वित्त मंत्रालय में सबसे वरिष्ठ सचिव को दिया जाता है.' सिब्बल ने कहा कि राजीव महर्षि 24 अक्टूबर 2014 से 30 अगस्त 2015 तक वित्त सचिव थे.
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इसी बीच में प्रधानमंत्री मोदी 10 अप्रैल 2015 को पेरिस गए और राफेल सौदे पर हस्ताक्षर की घोषणा की. सिब्बल ने कहा, 'वित्त मंत्रालय ने इस सौदे की बातचीत में अहम भूमिका निभाई. अब यह साफ है कि राफेल सौदा राजीव महर्षि की निगरानी में हुआ. अब वह कैग के पद पर हैं. हमने उनसे दो बार मुलाकात की 19 सितंबर और 4 अक्टूबर 2018 को. हमने उनसे कहा कि इस सौदे की जांच की जानी चाहिए, क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार हुआ है, लेकिन वह खुद के खिलाफ कैसे जांच शुरू कर सकते हैं.
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(इनपुट: भाषा)
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