संसद के अगले सत्र में सरकार पर्यावरण से जुड़े एक नए कानून के लिए बिल पेश करेगी, जो देश के पांच बड़े मौजूदा कानूनों की जगह लेगा।
एनडीटीवीख़बर.कॉम से बातचीत में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह बात कही। जावड़ेकर ने कहा कि सुब्रमण्यम कमेटी की सिफारिशें अब जनता के सामने हैं और सरकार बजट सत्र में इसके आधार पर बिल लाएगी। गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछली अगस्त में पर्यावरण से जुड़े कानूनों को 'रिव्यू' करने के लिए पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम की अगुवाई में पांच सदस्यों की एक कमेटी बनाई थी, जिसने तकरीबन सभी कानूनों में बदलाव की सिफारिश की है और अब सरकार इसी आधार पर नया वृहद कानून बनाने जा रही है।
एनडीटीवीख़बर.कॉम पर हमने आपको ये बताया था कि सुब्रमण्यम कमेटी की सिफारिशों में जंगल की परिभाषा तय करने, पर्यावरण के मामले सुनने वाली अदालत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को एक प्रशासनिक संस्था तक सीमित करने और ज़िला अदालतों का गठन करने की बात कही थी। सरकार माइनिंग और पावर प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण से जुड़ी क्लियरेंस तेज़ करने के लिए भी कानून में बदलाव कर रही है।
विपक्षी पार्टियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार उद्योगपतियों की मदद के लिए पर्यावरण से जुड़े कानून ढीले कर रही है, लेकिन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने इसका खंडन किया है।
एनडीटीवीख़बर.कॉम से बातचीत में पर्यावरण मंत्री जावड़ेकर ने कहा, “हम कानूनों को कमज़ोर नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्हें और पारदर्शी और प्रभावी बना रहे हैं, ताकि अदालतों को हस्तक्षेप न करना पड़े।'
सरकार के पास लोकसभा में बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में उसे इस कानून को पास कराने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक सरकार सुब्रमण्यम कमेटी की सिफारिशों पर एक कमेटी का गठन कर सकती है, जो अगले बजट सत्र से पहले कानून बनाने का खाका तैयार करेगी। केंद्र सरकार ने इस मामले में सभी राज्य सरकारों से भी सलाह मांगी है।
सुब्रमण्यम कमेटी की सिफारिशें मानी गईं तो उन कानूनों का वजूद मिट सकता है जो राजीव गांधी और इंदिरा गांधी की सरकार के वक्त बने थे।
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