मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के रद्द होने को किसानों की ऐतिहासिक जीत करार देते हुए रविवार को कहा कि केंद्र सरकार को प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने के संबंध में ईमानदारी से काम करना होगा. उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी रूप देना होगा. मलिक ने कहा कि वह खुद भी इन कृषि कानूनों के खिलाफ थे.
हरियाणा के चरखी दादरी में फोगाट खाप द्वारा उन्हें सम्मानित किए जाने के कार्यक्रम से इतर मलिक ने संवाददाताओं से कहा कि किसान आंदोलन केवल स्थगित हुआ है और अगर अन्याय हुआ तो यह दोबारा शुरू हो जाएगा.
मलिक ने कहा कि अन्नदाताओं (किसानों) ने अपने अधिकारों की लड़ाई जीती है और भविष्य में भी अगर किसानों के खिलाफ कोई सरकार कदम उठाती है तो वह पूरी ईमानदारी से इसका विरोध करेंगे और अगर पद छोड़ने की बात आई, तब भी वह पीछे नहीं हटेंगे.
मलिक ने कहा, ‘मेरे लिए किसी भी पद से पहले किसानों का हित सर्वोपरि है.' उन्होंने कहा कि किसानों के अधिकारों पर आंच नहीं आने दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि जब सरकार किसानों से संबंधित कानून बनाती है तो पहले किसानों की राय ली जानी चाहिए और अगर कोई कानून बनाना है तो किसानों के फायदे के लिए बनाया जाए.
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