उच्चतम न्यायालय की एक समिति द्वारा एक लॉ इंटर्न से 'यौन प्रकृति' का 'अभद्र व्यवहार' करने का दोषी पाए जाने के बाद न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एके गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने के लिए सरकार 'प्रेजिडेंशियल रेफरेंस' यानी केंद्र की तरफ से राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय की राय हासिल करने के लिए उठाए गए कदम की दिशा में बढ़ती नजर आ रही है।
सूत्रों के मुताबिक, समझा जाता है कि केंद्रीय कानून मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय इस बात पर सहमत हैं कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश गांगुली के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बन सकता है। कानूनी ब्योरे हासिल करने लिए मामले को अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती के पास भेज दिया गया है।
मामले को अटॉर्नी जनरल के पास भेजे जाने की प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि 'प्रेजिडेंशियल रेफरेंस' में पेश किया गया मामला उच्चतम न्यायालय की कसौटी पर खरा उतरेगा। गृह मंत्रालय ने हाल ही में यह मामला कानून मंत्रालय के पास भेजा था।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पिछले दिनों एक पत्र लिखकर गांगुली के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। राष्ट्रपति द्वारा ममता का लिखा गया पत्र गृह मंत्रालय को भेजे जाने के बाद यह कदम उठाया गया है। ममता ने गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की थी।
गांगुली साल 2012 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को सिरे से नकारा है और अपना मौजूद पद छोड़ने से इनकार कर दिया है। उच्चतम न्यायालय की राय को पहले केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी हासिल करनी होगी और उसके बाद उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और फिर राष्ट्रपति के आदेश से पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद पर तैनात गांगुली को उनके पद से हटाया जा सकेगा।
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