नई दिल्ली:
एक असाधारण घटनाक्रम में मंगलवार रात संसद के बजट सत्र का सत्रावसान कर दिया गया। संसदीय मामलों पर कैबिनेट कमेटी की एक बैठक में यह फैसला किया गया कि संसद के बजट सत्र के सत्रावसान की सिफारिश राष्ट्रपति से की जाए। ये फैसला उत्तराखंड में जारी राजनीतिक संकट के मद्देनजर लिया गया है।
कैबिनेट कमेटी की बैठक के बाद संसदीय मामलों के मंत्री वेंकैया नायडू राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले ताकि उन्हें बैठक में लिए गए फैसले से अवगत करा सकें और उत्तराखंड के ताजा हालात की जानकारी दे सकें। राष्ट्रपति ने देर रात इस आश्य का आदेश जारी किया।
सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद विधानसभा सक्रिय नहीं थी और सरकार संचित निधि से धन निकालने के लिए अध्यादेश जारी करने की स्थिति में भी नहीं है ताकि राज्य 1 अप्रैल के बाद अपनी व्ययगत आवश्यकताओं को पूरा कर सके। लोकसभा के सत्र में न रहने पर राष्ट्रपति राज्यपाल को राज्य की संचित निधि से धन लेने का अधिकार दे सकते हैं।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 31 मार्च को ही हरीश रावत सरकार को फिर से बहुमत साबित करने का निर्देश दिया है और साथ ही संसद के दोनों सदन भी अभी रिसेश में है। सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि राज्यसभा का सत्रावसान इसलिए किया गया है, क्योंकि सरकार ने शत्रु संपत्ति अध्यादेश दोबारा जारी करने का फैसला लिया है। (इनपुट भाषा से)
कैबिनेट कमेटी की बैठक के बाद संसदीय मामलों के मंत्री वेंकैया नायडू राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले ताकि उन्हें बैठक में लिए गए फैसले से अवगत करा सकें और उत्तराखंड के ताजा हालात की जानकारी दे सकें। राष्ट्रपति ने देर रात इस आश्य का आदेश जारी किया।
सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद विधानसभा सक्रिय नहीं थी और सरकार संचित निधि से धन निकालने के लिए अध्यादेश जारी करने की स्थिति में भी नहीं है ताकि राज्य 1 अप्रैल के बाद अपनी व्ययगत आवश्यकताओं को पूरा कर सके। लोकसभा के सत्र में न रहने पर राष्ट्रपति राज्यपाल को राज्य की संचित निधि से धन लेने का अधिकार दे सकते हैं।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 31 मार्च को ही हरीश रावत सरकार को फिर से बहुमत साबित करने का निर्देश दिया है और साथ ही संसद के दोनों सदन भी अभी रिसेश में है। सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि राज्यसभा का सत्रावसान इसलिए किया गया है, क्योंकि सरकार ने शत्रु संपत्ति अध्यादेश दोबारा जारी करने का फैसला लिया है। (इनपुट भाषा से)
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