विज्ञापन
This Article is From Jan 23, 2017

सरकार ने कश्मीर में पंडितों के पुनर्वास के लिए 100 एकड़ जमीन तलाशी

सरकार ने कश्मीर में पंडितों के पुनर्वास के लिए 100 एकड़ जमीन तलाशी
कश्मीरी पंडितों का कश्मीर में पुनर्वास किया जा रहा है.
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर सरकार ने घाटी में आठ स्थानों पर करीब 100 एकड़ जमीन की पहचान कर ली है जहां पर कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास किया जाएगा. कश्मीर घाटी से पंडितों ने 1990 के दशक में पलायन किया था क्योंकि आतंकवादी उन्हें निशाना बना रहे थे.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक इन पंडितों को कश्मीर घाटी के आठ जिलों में बसाया जाएगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि "कजीगुंड और बड़गाम जिलों में काम तेजी से चल ही रहा है."

पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात भी की. उन्होंने गृह मंत्री को विस्तार से ब्योरा भी दिया कि राज्य सरकार ने अभी तक इस मसले पर कितना काम कर लिया है.  केन्द्र सरकार ने 2000 करोड़ रुपये का पैकेज घाटी के विकास के लिए दिया है. बैठक में उस पर भी विचार हुआ.

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने 6000 नौकरियां भी शॉर्टलिस्ट कर ली हैं. अधिकारी ने बताया कि "जो लोग वापस जाएंगे उनके लिए रोजगार जरूरी है. कुछ कम्पनियों से बात भी हो गई है."  

मंत्रालय के आकड़ों के मुताबिक करीब 62 हजार परिवार वापसी के लिए तैयार हैं. उन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन भी कराया है. इनमें से करीब 40000 जम्मू में 20000 दिल्ली में और बाकी के 2000 देश के अन्य शहरों में रजिस्टर्ड हैं.

दिलचस्प बात है कि जिस दिन महबूबा मुफ्ती गृह मंत्री से मिलीं उसी दिन सुबह जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने घाटी से पलायन कर चुके हजारों कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था.

विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा से जम्मू और अन्य भारतीय राज्यों में रह रहे कश्मीरी पंडितों की घर वापसी को संभव बनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने की मांग की थी. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता अब्दुल रहमान वीरी ने प्रस्ताव पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया.

क्यों अहम है कश्मीरी पंडितों के लिए 19 जनवरी 1990 का दिन  
यह कश्मीरी पंडितों की भावनाओं से जुड़ी एक तारीख है, क्योंकि वह 19 जनवरी, 1990 का ही दिन था जब 60 हजार से ज्यादा कश्मीरी पंडितों ने घाटी से पलायन किया था. इसी दिन कश्मीर में भारत सरकार के खिलाफ पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद शुरू हुआ था. जम्मू-कश्मीर पुलिस की 2008 में सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवाद से मजबूर होकर 24 हजार से ज्यादा कश्मीरी पंडितों के परिवारों ने कश्मीर छोड़ दिया था. 1989 से 2004 के बीच घाटी में 209 कश्मीरी पंडित मारे गए. हालांकि कश्मीरी पंडितों के संगठनों के मुताबिक ऐसे लोगों की संख्या हजारों में थी. उन हत्याओं के लिए अब तक किसी को भी सजा नहीं दी जा सकी है. बहुसंख्यक मुस्लिमों वाले कश्मीर में आज पंडित अल्पसंख्यक हैं.

कश्मीरी पंडितों के लिए बनेंगे कम्पोजिट एनक्लेव, हुर्रियत ने किया था विरोध
कुछ समय पहले जब  केंद्र सरकार ने कश्मीरी पंडितों के लिए अलग बस्ती बनाने की बात की, तो पूरी घाटी में तनाव पैदा हो गया था. खासकर हुर्रियत की ओर से. हालांकि तर्क दिया गया कि उनके लिए अलग कॉलोनी का वे विरोध कर रहे हैं. हुर्रियत का बयान था कि कश्मीरी पंडित वापस आएं, उनका स्वागत है, लेकिन वे किसी अलग बस्ती को स्वीकार नहीं करेंगे.

जब यह विवाद चल रहा था, तो केंद्रीय गृह मंत्री ने ‘कम्पोजिट कॉलोनी’ की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि अगर उस कॉलोनी में कुछ मुसलमान रहें, तो उसमें हर्ज क्या है? पलायन से पहले कश्मीरी पंडित जहां थे, वहीं आकर बसें. ताकि एक मिली-जुली संस्कृति वाले राज्य की परंपरा बनाई रखी जा सके.

कश्मीरी पंडितों का सच
उधर पंडितों का तर्क है कि जहां पहले वे रहते थे वह जगह अब उनकी रही नहीं. एक कश्मीरी पंडित ने अपना पक्ष एनडीटीवी के सामने रखा कि " स्थिति खराब होने लगी, तो ज्यादातर ने औने-पौने दामों में अपनी जमीनें और मकान बेच दिए. क्या उस समय उनका मकान और जमीन खरीदने वाले आज उन्हें वापस लौटाने को तैयार होंगे? यह संभव ही नहीं है."
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
मैं तो हमेशा से ही... बिहार के 'सुपरकॉप' लांडे ने क्यों दिया इस्तीफा, सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट लिखकर बताई वजह
सरकार ने कश्मीर में पंडितों के पुनर्वास के लिए 100 एकड़ जमीन तलाशी
भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार होने से लेकर CM पद छोड़ने तक, पढ़ें केजरीवाल के मामले में कब-कब क्या हुआ
Next Article
भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार होने से लेकर CM पद छोड़ने तक, पढ़ें केजरीवाल के मामले में कब-कब क्या हुआ
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com