राहुल गांधी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मोदी सरकार में लगातार बेरोज़गारी का मुद्दा उठ रहा है हालांकि सरकार कह रही है कि वो नौकरियों के नए मौके पैदा कर रही है लेकिन चुनावी साल में केंद्रीय नेता नितिन गडकरी ने ख़ुद माना है कि नौकरियों को लेकर संकट बना हुआ है. उन्होनें कहा कि सरकार में भर्तियां बंद है. ये बयान उन्होंने महाराष्ट्र के औरंगबाद में मराठा समाज के लोगों द्वारा आरक्षण की मांग लगातार उठाए जाने के संदर्भ में दिया. गडकरी ने कहा कि निराशा और असुविधा के चलते आरक्षण की मांग हो रही है. उन्होंने कहा कि आरक्षण मिलता भी है तो नौकरियां कहां हैं.
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इस पर राहुल गांधी ने गडकरी के बयान पर ट्विटर करते हुए कहा, ''बेहतरीन सवाल गडकरी जी. आज हर भारतीय यही सवाल पूछ रहा है कि नौकरियां कहां हैं.'' दरअसल, पिछले दिनों वरिष्ठ भाजपा नेता गडकरी ने कहा था, ‘मान लीजिए कि आरक्षण दे दिया जाता है, लेकिन नौकरियां नहीं हैं, क्योंकि बैंक में आईटी के कारण नौकरियां कम हुई हैं. सरकारी भर्ती रूकी हुई है। नौकरियां कहां हैं?’ गडकरी महाराष्ट्र में आरक्षण के लिए मराठा आंदोलन तथा अन्य समुदायों द्वारा इस तरह की मांग से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे.
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उन्होंने कहा, ‘‘एक सोच कहती है कि गरीब गरीब होता है, उसकी कोई जाति, पंथ या भाषा नहीं होती. उसका कोई भी धर्म हो, मुस्लिम, हिन्दू या मराठा (जाति), सभी समुदायों में एक धड़ा है जिसके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है, खाने के लिए भोजन नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक सोच यह कहती है कि हमें हर समुदाय के अति गरीब धड़े पर भी विचार करना चाहिए.’’
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इस पर राहुल गांधी ने गडकरी के बयान पर ट्विटर करते हुए कहा, ''बेहतरीन सवाल गडकरी जी. आज हर भारतीय यही सवाल पूछ रहा है कि नौकरियां कहां हैं.'' दरअसल, पिछले दिनों वरिष्ठ भाजपा नेता गडकरी ने कहा था, ‘मान लीजिए कि आरक्षण दे दिया जाता है, लेकिन नौकरियां नहीं हैं, क्योंकि बैंक में आईटी के कारण नौकरियां कम हुई हैं. सरकारी भर्ती रूकी हुई है। नौकरियां कहां हैं?’ गडकरी महाराष्ट्र में आरक्षण के लिए मराठा आंदोलन तथा अन्य समुदायों द्वारा इस तरह की मांग से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे.
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उन्होंने कहा, ‘‘एक सोच कहती है कि गरीब गरीब होता है, उसकी कोई जाति, पंथ या भाषा नहीं होती. उसका कोई भी धर्म हो, मुस्लिम, हिन्दू या मराठा (जाति), सभी समुदायों में एक धड़ा है जिसके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है, खाने के लिए भोजन नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक सोच यह कहती है कि हमें हर समुदाय के अति गरीब धड़े पर भी विचार करना चाहिए.’’
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