गोवा में बीजेपी (BJP) नेतृत्व वाली प्रमोद सावंत सरकार (Pramod Sawant Government) के शपथ ग्रहण करने के सात दिन बाद ही उलटफेर हो गया. गोवा (Goa) की गठबंधन सरकार में सहयोगी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) के कुल तीन विधायकों में से दो बीजेपी में शामिल हो गए. इस पार्टी के नेता और उप मुख्यमंत्री सुदीन धवलीकर (Sudin Dhavalikar) को पद से हटा दिया गया. गोवा के सबसे पुराने राजनीतिक दल एमजीपी के सामने अब संकट पैदा हो गया है.
महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) के दो विधायकों के अपनी पार्टी से अलग होकर सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) में शामिल होने के बाद गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (Pramod Sawant) ने उप मुख्यमंत्री सुदीन धवलीकर (Sudin Dhavalikar) को बुधवार को कैबिनेट से हटा दिया. धवलीकर एमजीपी के एकमात्र विधायक थे, जो पार्टी से अलग नहीं हुए थे. धवलीकर ने बीजेपी के इस कदम को ‘‘चौकीदारों की डकैती'' करार दिया.
सावंत ने गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा के नाम संबोधित पत्र में धवलीकर को हटाए जाने की सूचना दी. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सुदीन धवलीकर को कैबिनेट से हटा दिया है. रिक्त सीट को भरने का निर्णय शीघ्र लिया जाएगा.'' एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार सिन्हा ने धवलीकर को हटाए जाने की मुख्यमंत्री की सिफारिश स्वीकार कर ली.
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धवलीकर ने कहा, ‘‘जिस तरह से चौकीदारों ने एमजीपी पर आधी रात को डकैती की, लोग उसे देखकर हैरान हैं. लोग देख रहे हैं और वे तय करेंगे कि आगे क्या करना है.'' उन्होंने दावा किया कि एमजीपी लोगों का संगठन है और इस प्रकार के कदमों से वह खत्म नहीं होगी. धवलीकर को परिवहन एवं लोक कल्याण मंत्रालय सौंपे गए थे जिनका कार्यभार अब स्वयं सावंत संभालेंगे.
फिलहाल नई दिल्ली में मौजूद राज्यपाल सिन्हा ने अपना दौरा समय से पूर्व समाप्त कर दिया है. वे धवलीकर का स्थान लेने वाले नए मंत्री को शपथ ग्रहण कराने के लिए बुधवार की शाम को गोवा पहुंचेंगी.
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विधायक मनोहर अजगांवकर और दीपक पावस्कर ने गोवा विधानसभा के कार्यवाहक अध्यक्ष माइकल लोबो को पत्र दिया था जिसमें एमजीपी विधायक दल के भाजपा में विलय की बात कही गई थी. हालांकि एमजीपी के तीसरे विधायक सुदीन धवलीकर के इस पर हस्ताक्षर नहीं हैं.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी वह राजनीतिक दल है जो सन 1961 में पुर्तगाली शासन खत्म होने के बाद सबसे पहले सत्तासीन हुआ था. पिछले 20 सालों में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन धावलीकर ने अपनी पार्टी को जीवंत बनाए रखा.
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(इनपुट भाषा से भी)
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