सीआईएसएफ ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया और गृह मंत्रालय के सामने मुद्दा उठाया है...
नई दिल्ली:
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ़ पर है. सीआईएसएफ पूरी मुस्तैदी से ये काम करती है लेकिन उसकी शिकायत है कि हवाई अड्डे की देखभाल जिस जीएमआर नाम की कंपनी के हवाले है, वो उसे उसका बकाया नहीं दे रही- थोड़ा बहुत नहीं, 618 करोड़ रुपये.
डीजी सीआईएसएफ ओपी सिंह ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, "कुछ ऐसे एरपोर्ट है जिनसे हमने बक़ाया लेना है. दिल्ली एरपोर्ट भी उन में से एक है. हम लोगों ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया और गृह मंत्रालय के सामने ये मुद्दा उठाया है."
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक़ सीआईएसएफ देशभर के 59 एयरपोर्ट को सुरक्षा देती है. और उनसे करीब 900 करोड़ रुपये सालाना कमाती है. इसमें से सबसे बड़ी रक़म दिल्ली एयरपोर्ट आती है. यहां 4500 सुरक्षाकर्मी तैनात है लेकिन डेढ़ साल से सीआईएसएफ को पैसे नहीं मिल रहे.
उधर जब एनडीटीवी ने जीएमआर से इस बारे में बात की तो उसका कहना था कि हवाई अड्डा बनाते वक़्त यहां सिर्फ़ 2000 सुरक्षाकर्मी थे, लेकिन अब इनकी संख्या दुगुनी है इसीलिए बकाया बड़ा होता जा रहा है.
जीएमआर के मुताबिक़ हवाई अड्डे की पैसेंजर सेफ्टी फीस काफ़ी कम है. इसके मुक़ाबले सुरक्षा पर होने वाला ख़र्च ज़्यादा है. फिर तीन पे कमीशन आ चुके हैं जिनकी वजह से वेतन का ख़र्च बढ़ गया है. बहरहाल अब ये मामला गृह मंत्रालय के सामने है. वैसे सीआईएसएफ अकेला ऐसा सुरक्षा बल है जो अपनी कमाई ख़ुद से करता है. केंद्र सरकार पर वो किसी तरह का बोझ नहीं डलता. ऐसे में ये ज़रूरी है कि इस संकट का हल जल्दी खोजा जाए, क्योंकि इससे यात्रियों की सुरक्षा का मामला भी जुड़ा.
डीजी सीआईएसएफ ओपी सिंह ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, "कुछ ऐसे एरपोर्ट है जिनसे हमने बक़ाया लेना है. दिल्ली एरपोर्ट भी उन में से एक है. हम लोगों ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया और गृह मंत्रालय के सामने ये मुद्दा उठाया है."
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक़ सीआईएसएफ देशभर के 59 एयरपोर्ट को सुरक्षा देती है. और उनसे करीब 900 करोड़ रुपये सालाना कमाती है. इसमें से सबसे बड़ी रक़म दिल्ली एयरपोर्ट आती है. यहां 4500 सुरक्षाकर्मी तैनात है लेकिन डेढ़ साल से सीआईएसएफ को पैसे नहीं मिल रहे.
उधर जब एनडीटीवी ने जीएमआर से इस बारे में बात की तो उसका कहना था कि हवाई अड्डा बनाते वक़्त यहां सिर्फ़ 2000 सुरक्षाकर्मी थे, लेकिन अब इनकी संख्या दुगुनी है इसीलिए बकाया बड़ा होता जा रहा है.
जीएमआर के मुताबिक़ हवाई अड्डे की पैसेंजर सेफ्टी फीस काफ़ी कम है. इसके मुक़ाबले सुरक्षा पर होने वाला ख़र्च ज़्यादा है. फिर तीन पे कमीशन आ चुके हैं जिनकी वजह से वेतन का ख़र्च बढ़ गया है. बहरहाल अब ये मामला गृह मंत्रालय के सामने है. वैसे सीआईएसएफ अकेला ऐसा सुरक्षा बल है जो अपनी कमाई ख़ुद से करता है. केंद्र सरकार पर वो किसी तरह का बोझ नहीं डलता. ऐसे में ये ज़रूरी है कि इस संकट का हल जल्दी खोजा जाए, क्योंकि इससे यात्रियों की सुरक्षा का मामला भी जुड़ा.
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