फर्ग्युसन कॉलेज का कार्यक्रम जेएनयू के एबीवीपी के छात्र नेताओं ने आयोजित किया था।
पुणे:
पुणे के मशहूर फर्ग्युसन कॉलेज ने पुलिस को दी गई वह शिकायत वापस ले ली है जिसमें उन छात्रों की पहचान करने और सजा देने को आग्रह किया गया था। कॉलेज प्रशासन ने एक दिन पहले शाम को परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में इन छात्रों पर देश विरोधी नारे लगाने का आरोप लगाया था।
प्रिंसिपल रवींद्र परदेसी की ओर से जारी पत्र में कहा गया था कि इस कार्यक्रम के आयोजन की इजाजत नहीं दी गई थी। हालांकि परदेशी करीब 16 घंटे बाद NDTV से बातचीत के दौरान शिकायत से मुकरते हुए इसे 'टाइपिंग की भूल' करार दिया। पुणे की पुलिस के पास यह शिकायत दिल्ली के जेएनयू मामले में तीन छात्रों की देशद्रोह के मामले में गिरफ्तारी के कुछ सप्ताह बाद पहुंची थी। इन तीनों छात्रों को जमानत मिल गई है।
फर्ग्युसन कॉलेज के कार्यक्रम को जेएनयू के एबीवीपी के छात्र नेताओं ने आयोजित किया था। यह छात्र संगठन बीजेपी से संबद्ध है। एबीवीपी की जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय इकाई के प्रमुख आलोक सिंह भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे। इस दौरान वामपंथी झुकाव रखने वाले और कुछ दूसरे छात्रों ने कार्यक्रम का विरोध किया। इन्होंने आयोजन को अवैध बताते हुए "आजादी" के नारे भी लगाए। मामले में हस्तक्षेप करके भीड़ को तितर-बितर करने वाली पुलिस ने कहा कि वामपंथी विचारधारा से जुड़े कुछ छात्र मौके पर पहुंचे और एबीवीपी सदस्यों से बहस करने लगे। इस कारण से नारेबाजी और गरमागरम बहस हुई। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'हमने भीड़ को शांत किया और छात्रों को तितर बितर किया। किसी भी समूह के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है।' (साथ में एजेंसी से भी इनपुट)
प्रिंसिपल रवींद्र परदेसी की ओर से जारी पत्र में कहा गया था कि इस कार्यक्रम के आयोजन की इजाजत नहीं दी गई थी। हालांकि परदेशी करीब 16 घंटे बाद NDTV से बातचीत के दौरान शिकायत से मुकरते हुए इसे 'टाइपिंग की भूल' करार दिया। पुणे की पुलिस के पास यह शिकायत दिल्ली के जेएनयू मामले में तीन छात्रों की देशद्रोह के मामले में गिरफ्तारी के कुछ सप्ताह बाद पहुंची थी। इन तीनों छात्रों को जमानत मिल गई है।
फर्ग्युसन कॉलेज के कार्यक्रम को जेएनयू के एबीवीपी के छात्र नेताओं ने आयोजित किया था। यह छात्र संगठन बीजेपी से संबद्ध है। एबीवीपी की जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय इकाई के प्रमुख आलोक सिंह भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे। इस दौरान वामपंथी झुकाव रखने वाले और कुछ दूसरे छात्रों ने कार्यक्रम का विरोध किया। इन्होंने आयोजन को अवैध बताते हुए "आजादी" के नारे भी लगाए। मामले में हस्तक्षेप करके भीड़ को तितर-बितर करने वाली पुलिस ने कहा कि वामपंथी विचारधारा से जुड़े कुछ छात्र मौके पर पहुंचे और एबीवीपी सदस्यों से बहस करने लगे। इस कारण से नारेबाजी और गरमागरम बहस हुई। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'हमने भीड़ को शांत किया और छात्रों को तितर बितर किया। किसी भी समूह के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है।' (साथ में एजेंसी से भी इनपुट)
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