असम में हालात अब भी तनावपूर्ण हैं और उग्रवादी हमलों में मारे जाने वाले लोगों की संख्या 70 के पार पहुंच गई है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जारी है और सेना तथा पुलिस हालात को काबू करने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
बुधवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य का दौरा किया था। उन्होंने इस नरसंहार को 'आतंकी' कार्य करार दिया तथा इससे सख्ती से निपटने की बात कही। गृहमंत्री ने हमले के लिए राज्य सरकार की लापरवाही को भी जिम्मेदार माना और कहा कि जानकारी मिलने के बाद भी राज्य सरकार हमलों को रोकने में नाकाम रही है।
उदलगुड़ी के पुलिस अधीक्षक बीर बिक्रम गोगोई ने बताया कि संदिग्ध एनडीएफबी (एस) उग्रवादियों ने मजबत थानांतर्गत लामाबारी में गोलीबारी की और कुछ घरों को जला दिया। एक पुलिस दल मौके पर पहुंचा और उग्रवादियों पर गोली चलाईं, तो वे मौके से भाग गए। उन्होंने कहा कि गोलीबारी में एक आदिवासी घायल हो गया। उसे तेजपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस ने कहा कि हमले के बाद नाराज आदिवासियों ने लामाबारी और उदलगुड़ी साप्ताहिक हाट में 60 से अधिक घरों को आग के हवाले कर दिया। लोगों के घर छोड़ने के चलते कोई घायल नहीं हुआ। उग्रवादियों ने मंगलवार रात से कोकराझार, चिरांग, सोनितपुर और उदलगुड़ी जिलों में सिलसिलेवार हमलों में कई आदिवासियों को मार दिया।
सभी हिंसा प्रभावित इलाकों में सेना तैनात कर दी गई है। बोडो उग्रवादियों द्वारा आदिवासियों के नरसंहार में मरने वालों की संख्या बढ़कर 70 के पार पहुंच चुकी है। इसके बाद बदले की भावना के तहत बोडो के घरों को जला दिया गया और एक थाने पर हमला किया गया, जिस दौरान पुलिस की कथित गोलीबारी में तीन और आदिवासियों की मौत हो गई। खबरों के अनुसार, कोकराझाड़ में आदिवासियों ने बोडो समुदाय के कई घरों में आग लगा दी, जिसमें इस समुदाय के दो लोगों की मौत हो गई। मरने वालों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
हिंसा चौथे जिले उदलगुड़ी में फैल गई, जब तीन जिलों में जातीय हिंसा के लिए जिम्मेदार वार्ता विरोधी एनडीएफबी (एस) के उग्रवादियों ने गांववालों पर गोलियां चलाईं और कई घरों में आग लगा दी। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने बुधवार रात कहा कि मुख्यमंत्री ने राजनाथ सिंह से इन हत्याओं की जांच एनआईए से कराने का आदेश देने का अनुरोध किया, जिस पर गृहमंत्री सहमत हो गए।
(इनपुट भाषा से भी)
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