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This Article is From Oct 24, 2014

फ्रांसीसी फिल्मकारों ने चावल भेंट कर जारवा जनजाति की अवैध ढंग से फिल्म बनाई, एफआईआर दर्ज

फ्रांसीसी फिल्मकारों ने चावल भेंट कर जारवा जनजाति की अवैध ढंग से फिल्म बनाई, एफआईआर दर्ज
पोर्ट ब्लेयर:

अंडमान द्वीपसमूह की संरक्षित आदिम जनजाति 'जारवा' पर गुपचुप तरीके से एक डॉक्यूमेंट्री बनाने के मामले में फ्रांस के दो फिल्मकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। दोनों फिल्मकारों के खिलाफ संरक्षित 'जारवा' जनजाति रिजर्व में जबरन दाखिल होने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।

अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह की जनजातीय कल्याण सचिव तेवा नीति दास ने आज बताया, 'देश का कानून तोड़ने पर हमने फ्रांसीसी निर्देशक अलेक्सांद्र देराइम्स और निर्माता क्लेयर बीलवर्ट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। जारवा इलाके में दाखिल होने, उनसे संपर्क करने या कोई फोटो या वीडियो लेने पर पाबंदी है।'

दास ने कहा कि फिल्मकारों ने जारवा समुदाय के लोगों को चावल, तेल और बिस्कुट दिए ताकि वे शूटिंग के दौरान सहयोग करें। उन्होंने कहा, 'हमने जारवा समुदाय के लोगों से बात की है। उन्होंने इस घटना की पुष्टि की है। वे बाहरी दुनिया के संक्रमणों के प्रति काफी संवेदनशील हैं और यह उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।'

सचिव ने कहा, 'पुलिस मामले की तफ्तीश कर उनके खिलाफ सबूत इकट्ठा कर रही है। आरोप साबित होने पर उन्हें जुर्माने के अलावा तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती है।'

दास ने बताया कि जारवा इलाके में दाखिल होने में फिल्मकारों की मदद करने के आरोप में दो स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

मामला 19 अक्तूबर को दर्ज किया गया, जबकि कहा जा रहा है कि यह घटना मार्च-अप्रैल के दौरान हुई थी।

यह मामला उस वक्त सामने आया जब अंडमान आदिम जनजाति विकास समिति (एएजेवीएस) ने प्रशासन को इसकी जानकारी दी।

दास ने कहा कि उन्होंने फिल्मकारों को पहले ही नोटिस भेज दिया था। दोनों फिल्मकार फ्रांस वापस जा चुके हैं। नोटिस में उनसे कहा गया था कि वे जारवा समुदाय से जुड़ा कोई भी विजुअल जारी न करें।

उन्होंने कहा कि प्रशासन विदेश मंत्रालय से भी अनुरोध करेगा कि वह इस मामले को फ्रांस सरकार के सामने उठाए।

दोनों फिल्मकारों के खिलाफ आदिम जनजाति (संशोधन) कानून 2012, विदेशी संशोधन कानून 2004 और सूचना प्रौद्योगिकी कानून तोड़ने का मामला दर्ज किया गया है। डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण 'ऑर्गेनिक जारवा' के नाम से किया गया है। यह अभी निर्माण के बाद के चरण में है। डॉक्यूमेंट्री में जारवा समुदाय से संबंध रखने वाले दो साल के बच्चे उचु और उसके परिवार एवं दोस्तों की कहानी बयान की गई है।

अपने एक 'फेसबुक' पोस्ट में फिल्मकारों ने यह कहते हुए अपने कदम का बचाव किया कि उन्होंने जारवा जनजाति की इजाजत ली थी और वे उनकी हकीकत, सुंदरता, दयालुता से लोगों को वाकिफ कराएंगे।

उन्होंने लिखा, 'हम सिर्फ जारवा की तस्वीरें लेने के लिए उनसे नहीं मिले थे। हमने एक डॉक्यूमेंट्री बनाई जहां जारवा ने पहली बार अपनी बात कही है।'

जारवा जनजाति की जनसंख्या अब घटकर महज 400 रह गई है। वे बाहरी दुनिया के संक्रमणों के प्रति काफी संवेदनशील हैं। साल 1998 तक बाहरी दुनिया से शायद ही उनका कोई संपर्क था।

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