प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:
वो बैंक से लोन दिलाने के नाम पर कैंसल चेक लेते थे। लेकिन लाइटर की आंच में उसे ब्लैंक चेक बना देते और फिर अपना नाम और रकम भर कर उसे भुना लेते थे। अपनी इस जादुई तरकीब से अब तक लाखों की ठगी कर चुके हैं। लेकिन अब उनका राज खुल चुका है और पहुंच गए हैं सलाखों के पीछे।
जून महीने में दादर पुलिस थाने में एक शख्स ने शिकायत दर्ज कराई कि उसके बैंक खाते से किसी ने 80 हजार रुपये निकाल लिए हैं। दादर पुलिस ने जांच की तो पता चला कि जिस चेक से रुपये निकले थे उसपर बाकायदा शिकायतकर्ता के दस्तखत थे। जब शिकायतकर्ता से पूछा गया तो उसने वो चेक लोन लेने के लिए एजेंट को देने की बात बताई। लेकिन जब एजेंट को फ़ोन किया गया तो वो बंद था। पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि एजेंट ने ही ठगी की है। लेकिन बड़ा सवाल था कि कैंसल किया हुआ चेक कैसे पास हुआ?
बहरहाल फोन नबंर के जरिये लोकेशन ट्रेस करते हुए पुलिस ने एक एक कर एजेंट कल्पेश ताम्बे, श्रीमंत भोसले और मनोज मिश्र को धर दबोचा। उसके बाद जो राज खुला तो पुलिस भी दंग रह गई।
इलाके के पुलिस उपायुक्त महेश पाटिल के मुताबिक ये शातिर ठग बैंको के बाहर खड़े रह कर लोन लेने के इच्छुक लोगों की पहचान करते। फिर उन्हें आसानी से लोन दिलाने का झांसा देकर खाते में कम से कम एक लाख रुपया होने की शर्त रखते, साथ ही उनसे कैंसल चेक देने को कहते। लोन की प्रक्रिया में ये आम बात है इसलिए कोई मना नहीं करता।
पुलिस के मुताबिक चेक लेते समय शातिर ठग सामने वाले को अपनी पेन पकड़ा देते और उसी से चेक पर सही और कैंसल शब्द लिखने को कहते। फिर चेक लेकर ये कहकर निकल जाते कि कुछ दिनों में आपके अकॉउंट में लोन की रकम डिपोजिट हो जायेगी। लेकिन होता उल्टा, अकाउंट ही साफ हो जाता। फिर ना वो मिलते और ना ही उनका फ़ोन नंबर लगता।
दरअसल सारा कमाल उस पेन की स्याही का है जो लाइटर की आंच पाते ही उड़ जाती है। आरोपियों ने बताया कि खास किस्म स्याही में स्प्रिट मिली होती है और वो दिल्ली से मंगाते थे। शातिर ठग अपनी जादुई पेन के जरिये अब तक कई लोगों को ठग चुके हैं।
जून महीने में दादर पुलिस थाने में एक शख्स ने शिकायत दर्ज कराई कि उसके बैंक खाते से किसी ने 80 हजार रुपये निकाल लिए हैं। दादर पुलिस ने जांच की तो पता चला कि जिस चेक से रुपये निकले थे उसपर बाकायदा शिकायतकर्ता के दस्तखत थे। जब शिकायतकर्ता से पूछा गया तो उसने वो चेक लोन लेने के लिए एजेंट को देने की बात बताई। लेकिन जब एजेंट को फ़ोन किया गया तो वो बंद था। पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि एजेंट ने ही ठगी की है। लेकिन बड़ा सवाल था कि कैंसल किया हुआ चेक कैसे पास हुआ?
बहरहाल फोन नबंर के जरिये लोकेशन ट्रेस करते हुए पुलिस ने एक एक कर एजेंट कल्पेश ताम्बे, श्रीमंत भोसले और मनोज मिश्र को धर दबोचा। उसके बाद जो राज खुला तो पुलिस भी दंग रह गई।
इलाके के पुलिस उपायुक्त महेश पाटिल के मुताबिक ये शातिर ठग बैंको के बाहर खड़े रह कर लोन लेने के इच्छुक लोगों की पहचान करते। फिर उन्हें आसानी से लोन दिलाने का झांसा देकर खाते में कम से कम एक लाख रुपया होने की शर्त रखते, साथ ही उनसे कैंसल चेक देने को कहते। लोन की प्रक्रिया में ये आम बात है इसलिए कोई मना नहीं करता।
पुलिस के मुताबिक चेक लेते समय शातिर ठग सामने वाले को अपनी पेन पकड़ा देते और उसी से चेक पर सही और कैंसल शब्द लिखने को कहते। फिर चेक लेकर ये कहकर निकल जाते कि कुछ दिनों में आपके अकॉउंट में लोन की रकम डिपोजिट हो जायेगी। लेकिन होता उल्टा, अकाउंट ही साफ हो जाता। फिर ना वो मिलते और ना ही उनका फ़ोन नंबर लगता।
दरअसल सारा कमाल उस पेन की स्याही का है जो लाइटर की आंच पाते ही उड़ जाती है। आरोपियों ने बताया कि खास किस्म स्याही में स्प्रिट मिली होती है और वो दिल्ली से मंगाते थे। शातिर ठग अपनी जादुई पेन के जरिये अब तक कई लोगों को ठग चुके हैं।
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