पुलवामा हमले के बाद भारत को बड़ी कूटनीतिक कामयाबी मिली है. फ्रांस 'अगले कुछ दिनों' में संयुक्त राष्ट्र में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish e Mohammad) के सरगना मसूद अजहर (Masood Azhar) पर प्रतिबंध लगवाने के लिए एक प्रस्ताव लाएगा. एक फ्रांसीसी सूत्र ने मंगलवार को यह जानकारी दी. यह जैश के सरगना को वैश्विक आतंकवादी की सूची में डलवाने के भारत के प्रयासों को बड़ी मजबूती देगा. संयुक्त राष्ट्र द्वारा निषिद्ध संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हाल में पुलवामा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी जिसमें 40 सीआरपीएफ कर्मी शहीद हो गए थे. पेश किये जाने के बाद यह प्रस्ताव बीते दस सालों में संयुक्त राष्ट्र में किया जाने वाला ऐसा चौथा प्रयास होगा.
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2009 और 2016 में अजहर (Masood Azha) पर प्रतिबंध के लिये भारत संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति 1267 के पास गया था. अजहर जनवरी 2016 में पठानकोट वायुसैनिक अड्डे पर हुए हमले का भी मास्टरमाइंड है. 2016 में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस भी इस प्रस्ताव पर भारत के साथ थे. 2017 में अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति 1267 में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन के प्रमुख पर प्रतिबंध की मांग की गई थी. चीन ने हमेशा इन प्रस्तावों को स्वीकार किये जाने की राह में अड़ंगा लगाया.
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एक वरिष्ठ फ्रांसीसी सूत्र ने बताया, 'फ्रांस संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर (Masood Azha) को आतंकी सूची में डालने के लिये एक प्रस्ताव का नेतृत्व करेगा. यह अगले कुछ दिनों में होगा.' सूत्रों के मुताबिक उम्मीद है कि इस बार भी फ्रांस के प्रस्ताव को अन्य राष्ट्रों का समर्थन हासिल होगा. फ्रांसीसी सूत्र ने यह भी कहा कि उनका देश इस बात पर भी जोर देगा कि पाकिस्तान को पेरिस में चल रही फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में ‘ग्रे लिस्ट' वाले देशों में शामिल करने के लिये भी दबाव डालेगा.
पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया था उसे नोटिस दिया गया था कि अगर उसने धनशोधन और आतंक के वित्त पोषण पर लगाम नहीं लगाई तो अक्टूबर 2019 में उसे कालीसूची में डाल दिया जाएगा.
फ्रांसीसी सूत्रों ने बताया कि फ्रांस के इस फैसले पर फ्रांस के राष्ट्रपति के कूटनीतिक सलाहकार फिलिप एतिन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच मंगलवार सुबह चर्चा हुई. इस दौरान हमले को लेकर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए फ्रांसीसी कूटनीतिज्ञ ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों को अपने कूटनीतिक प्रयासों में समन्वय करना चाहिए.
(इनपुट: भाषा)
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