पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद एम्स में हुआ निधन
नई दिल्ली: भारतीय राजनीति के अजातशत्रु कहे जाने वाले बीजेपी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में गुरुवार को निधन हो गया. वह बीते 11 जून से एम्स में भर्ती थे. वाजपेयी ने गुरुवार शाम 5:05 बजे अंतिम सांस ली. बुधवार को उनकी हालत गंभीर हो गई और उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था. वाजपेयी को गुर्दा (किडनी) की नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण आदि के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था. मधुमेह पीड़ित 93 वर्षीय भाजपा नेता का एक ही गुर्दा काम करता था.
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वाजपेयी की हालत बिगड़ने पर बुधवार की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें देखने के लिए एम्स पहुंचे थे. साथ ही उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी गुरुवार को एम्स पहुंचे. उनके अलावा केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, जितेंद्र सिंह, अश्विनी चौबे, स्मृति ईरानी, शाहनवाज हुसैन, हर्षवर्धन सहित कई बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी के स्वास्थ्य का हाल जानने के लिए एम्स गए थे. अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार देश का नेतृत्व किया है. वे पहली बार साल 1996 में 16 मई से 1 जून तक, 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक और फिर 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे हैं.
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी के कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे. भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी उनकी अहम भूमिका रही. वे 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे. आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वजपेयी लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी करते रहे. वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे और इसी निष्ठा के कारण उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था. सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपने संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया.
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वाजपेयी देश के उन चंद प्रधानमंत्रियों में से एक थे जिन्हें हमेशा उनके बेबाक फैसलों के लिए जाना जाता था. चाहे बात पाकिस्तान से दोस्ती के लिए बस से लाहौर जाने की हो या फिर कारगिल में लड़ाई के फैसले की. वह हमेशा से ही अपने फैसलों पर अडिग रहने वाले नेता थे. यही वजह थी कि वह देश में सबसे लंबे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी रहे.
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अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था. उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी कवि होने के साथ-साथ स्कूल मास्टर भी थे. वाजपेयी जी ने स्कूल तक की शिक्षा ग्वालियर में ही ली थी. इसके बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में की. इसके बाद उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र से एमए किया. इस दौरान उन्होंने संघ के कई ट्रेनिंग कैंपों में हिस्सा भी लिया. राजनीति में उनका प्रवेश 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने के साथ हुआ. इस आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें और उनके बड़े भाई प्रेम को 23 दिनों तक जेल में रहना पड़ा. आजादी के बाद वे जनसंघ के नेता बने.
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देश में आपातकाल का विरोध करने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया था. इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ जयप्रकाश नारायण ने सभी विपक्षी दलों के एक साथ आने और एक दल बनाने की अपील की थी. जनसंघ और आरएसएस ने जेपी आंदोलन को पूरा समर्थन दिया. सन 1977 में देश की जनता ने कांग्रेस के खिलाफ जनता पार्टी को बड़े अंतर से चुनाव में जीत दिलाई. इसके बाद अटल जी को प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया. वाजपेयी बतौर विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देने वाले पहले नेता बने थे.
जब राजीव गांधी की इस बड़ी 'पहल' के कारण अटल बिहारी वाजपेयी को मिला था 'जीवनदान'पहली बार 1996 में बने प्रधानमंत्री
अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार देश के प्रधानमंत्री मई 1996 में बने. हालांकि इस दौरान उनकी सरकार महज 13 दिन में ही अल्पमत मे आ गई और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
दूसरी बार बने पीएम
एनडीए के नेता के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 1998-99 में दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने. लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए ने सदन में अपना बहुमत साबित किया और इस तरह से बीजेपी ने एक बार फिर देश में सरकार बनाई.
तीसरी बार का कार्यकाल
अटल बिहारी वाजपेयी 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री रहे. उनके इस कार्यकाल में देश ने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं. साल 2004 में आम चुनाव में बीजेपी की हार के बाद उन्होंने गिरती सेहत के चलते राजनीति से संन्यास ले लिया था.
2015 में मिला भारत रत्न
अटल बिहारी वाजपेयी को वर्ष 2015 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न ने नवाजा. इस सम्मान से पहले भी वाजपेयी जी को पदम विभूषण से लेकर कई अन्य सम्मान प्राप्त हुए.
VIDEO: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी के कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे. भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी उनकी अहम भूमिका रही. वे 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे. आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वाजपेयी लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी करते रहे. वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे और इसी निष्ठा के कारण उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था. सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपने संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया.