सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

नई दिल्ली:

सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। घूस मांगने के आरोपों को लेकर दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया। याचिका श्रीलाल महल कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्‍टर प्रेम गर्ग की ओर से दायर की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस याचिका पर वो सुनवाई नहीं करेगा। कर्नाटक हाइकोर्ट ने कहा था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए वहां जाएं।

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह कोल ब्‍लॉक घोटाले में आरोपी नहीं है, मगर सीबीआई ने उसे धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोपों के तहत वर्ष 2010 में कर्नाटक, बैंगलोर के एक प्‍लाट एवं उसकी सामग्री की बिक्री के मामले में आरोपी बना दिया। इस प्‍लांट का मालिकाना हक श्रीलाल महल कंपनी के पास था।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि सितंबर 2013 में जब वह देश से बाहर गया हुआ था तो सीबीआई के तत्‍कालीन निदेशक रंजीत सिन्‍हा ने उनकी पत्‍नी के पास फोन किया और 15 करोड़ रुपये की रिश्‍वत की मांग की। यह राशि प्रेम गर्ग ने रंजीत सिन्‍हा को नहीं दी। इसके बाद जब वह दुबई में रह रहा था तो वर्ष 2014 में उनके नाम पर रेड कार्नर नोटिस जारी कर दिया गया।

गर्ग ने आरोप लगाया है कि सिन्‍हा ने फिर से उसकी पत्‍नी को मैसेज भेज कर 25 करोड़ रुपये की राशि की मांग की। उसने उक्‍त राशि भी सिन्‍हा को देने से इंकार कर दी। इसके बाद उन्‍होंने अपनी लीगल टीम के माध्‍यम से रंजीत सिन्‍हा के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में एक शिकायत दायर की। जिस पर हाईकोर्ट ने उन्‍हें कहा कि वह सिन्‍हा के खिलाफ भ्रष्‍टाचार संबंधी शिकायत को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर करें, क्‍योंकि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही सिन्‍हा के खिलाफ भ्रष्‍टाचार संबंधी अन्‍य शिकायत पर सुनवाई कर रही है। जिसके चलते उन्‍होंने अब सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की थी।

रंजीत सिन्हा डायरी गेट मामले की जांच कर रही पूर्व सीबीआई ऑफिसर एम एल शर्मा पैनल ने सील कवर में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की।

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- करीब 205 पेज की है रिपोर्ट
- सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को सौंपी
- कहा वो कोर्ट को बताएं कि रिपोर्ट में क्या है
- इसके बाद कोर्ट तय करेगा कि इस रिपोर्ट को सावर्जनिक किया जाए या नहीं