उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा में 200 लोगों के खिलाफ मुकदमा.
बरेली:
केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान ने आरोप लगाया कि सहारनपुर में जातीय हिंसा बसपा के दो पूर्व विधायकों ने कराई है. बालियान ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'मुजफ्फरनगर दंगा सपा सरकार के मंत्री आजम खां की देन था. सहारनपुर जातीय हिंसा बसपा के दो पूर्व विधायकों ने कराई है. बसपा के दो पूर्व विधायकों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को जातीय और सांप्रदायिक संघर्ष की राह पर धकेल दिया है.' केन्द्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री बालियान ने कहा, 'दंगे की जांच गहन स्तर पर चल रही है. कई लोग चिह्नित किये जा चुके हैं. दोषियों को जेल जाना होगा.' गंगा सफाई अभियान पर उन्होंने बताया कि गंगा के किनारे जलमल शोधन संयंत्र लगाने की योजना तैयार है. पांच सौ से अधिक कारखानों को नोटिस जारी किए गए हैं जिन्होंने नदी को गंदा किया है.
बालियान ने कहा कि केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीन साल पूरे हुए हैं. किसी भी मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं. किसी ने पद का दुरुपयोग नहीं किया है.
मामले की जांच 13 सदस्यीय एसआईटी को सौंपी गई
मालूम हो कि सहारनपुर हिंसा की जांच अब एक 13 सदस्यीय एसआईटी को सौंप दी गई है. चूंकि यह हिंसक संघर्ष ठाकुरों और दलितों के बीच हुआ है इसलिए एसआईटी के सारे सदस्य अन्य जातियों के हैं. लेकिन चूंकि एससी/एसटी केस के मुकदमों की जांच में दलित अफसर का होना जरूरी है इसलिए इसमें एक डिप्टी एसपी और एक इंस्पेक्टर दलित बिरादरी से है.
एसआईटी की जांच का सुपरवीजन डीआईजी सहारनपुर करेंगे. और टीम में एक एडीशनल एसपी, एक डिप्टी एसपी और 11 इंस्पेक्टर होंगे. एसआईटी 5 मई से 23 मई के बीच हुई हिंसा में कायम हुए 40 मुकदमों की जांच करेगी. इसमें 400 लोग नामजद हैं. जबकि 2000 अज्ञात लोगों के खिलाफ हिंसा में शामिल होने की एफआईआर है.
यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आदित्य मिश्रा ने एनडीटीवी को बताया कि वहां बेगुनाह लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने की शिकायतें आ रही थीं. उन्होंने खुद मौके पर पाया कि एक शख्स साव सिंह के खिलाफ हिंसा की एफआईआर हुई है जबकि वह 70 साल के अपाहिज बुज़ुर्ग हैं और उनके लिए दंगा करना मुमकिन नहीं है. इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए एसआईटी का गठन किया गया ताकि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके.
इनपुट: भाषा
बालियान ने कहा कि केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीन साल पूरे हुए हैं. किसी भी मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं. किसी ने पद का दुरुपयोग नहीं किया है.
मामले की जांच 13 सदस्यीय एसआईटी को सौंपी गई
मालूम हो कि सहारनपुर हिंसा की जांच अब एक 13 सदस्यीय एसआईटी को सौंप दी गई है. चूंकि यह हिंसक संघर्ष ठाकुरों और दलितों के बीच हुआ है इसलिए एसआईटी के सारे सदस्य अन्य जातियों के हैं. लेकिन चूंकि एससी/एसटी केस के मुकदमों की जांच में दलित अफसर का होना जरूरी है इसलिए इसमें एक डिप्टी एसपी और एक इंस्पेक्टर दलित बिरादरी से है.
एसआईटी की जांच का सुपरवीजन डीआईजी सहारनपुर करेंगे. और टीम में एक एडीशनल एसपी, एक डिप्टी एसपी और 11 इंस्पेक्टर होंगे. एसआईटी 5 मई से 23 मई के बीच हुई हिंसा में कायम हुए 40 मुकदमों की जांच करेगी. इसमें 400 लोग नामजद हैं. जबकि 2000 अज्ञात लोगों के खिलाफ हिंसा में शामिल होने की एफआईआर है.
यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आदित्य मिश्रा ने एनडीटीवी को बताया कि वहां बेगुनाह लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने की शिकायतें आ रही थीं. उन्होंने खुद मौके पर पाया कि एक शख्स साव सिंह के खिलाफ हिंसा की एफआईआर हुई है जबकि वह 70 साल के अपाहिज बुज़ुर्ग हैं और उनके लिए दंगा करना मुमकिन नहीं है. इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए एसआईटी का गठन किया गया ताकि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके.
इनपुट: भाषा
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