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This Article is From Feb 04, 2018

भारत को ब्रह्मपुत्र नदी का मार्ग बदलने से चिंतित होने की कोई जरुरत नहीं : पूर्व सैन्य प्रमुख

रॉय चौधरी ने भारत-चीन संबंध- विवादित मुद्दों को हल करने के तरीकों पर विचार गोष्ठी में कहा, ‘‘अगर चीन पानी का रास्ता बदलता है तो भारत को चिंता करने की जरुरत नहीं है.’’ चीन ने इन खबरों को खारिज किया है कि उसने त्सांगपो नदी के मार्ग में परिवर्तन कर उसे शिनजियांग प्रांत की ओर किया है.

भारत को ब्रह्मपुत्र नदी का मार्ग बदलने से चिंतित होने की कोई जरुरत नहीं : पूर्व सैन्य प्रमुख
ब्रह्मपुत्र नदी (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
भारत में ब्रह्मपुत्र नदी की पर्याप्त सहायक नदियां है
सहायक नदियों में उचित मात्रा में बारिश का पानी आता है.
भारत के साथ चीन जल युद्ध शुरू करने की कोशिश कर रहा है: नारायणन
कोलकाता: पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत) शंकर रॉय चौधरी ने कहा कि चीन द्वारा त्सांगपो-ब्रह्मपुत्र नदी के मार्ग में कथित तौर पर परिवर्तन करने से भारत को कोई खतरा नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर आरोप सही है तो भारत में ब्रह्मपुत्र कहलाने वाली इस नदी की पर्याप्त सहायक नदियां है, जिनमें उचित मात्रा में बारिश का पानी आता है.

रॉय चौधरी ने भारत-चीन संबंध- विवादित मुद्दों को हल करने के तरीकों पर विचार गोष्ठी में कहा, ‘‘अगर चीन पानी का रास्ता बदलता है तो भारत को चिंता करने की जरुरत नहीं है.’’ चीन ने इन खबरों को खारिज किया है कि उसने त्सांगपो नदी के मार्ग में परिवर्तन कर उसे शिनजियांग प्रांत की ओर किया है.

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पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम के नारायणन ने हालांकि इस मुद्दे पर कड़ा रूख अपनाते हुए कहा कि भारत के साथ चीन जल युद्ध शुरू करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘चीन ब्रह्मपुत्र को लेकर जल युद्ध करने पर सक्रियता से विचार कर रहा है.’’ 

जनरल रॉय चौधरी ने उद्योग और निर्माण के मोर्चे पर चीन से पिछड़ने के लिए भारत के आर्थिक क्षेत्र के कथित तौर पर धीमी रफ्तार से चलने को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए भारत के सुस्त और लालची आर्थिक क्षेत्र को जिम्मेदार ठहराना चाहिए ना कि चीन को. हमें चीन के मुकाबले में सस्ते एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बनाने चाहिए.’’

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उन्होंने कहा कि चीन में बने उत्पादों ने बहुत पहले ही भारत में कब्जा जमा लिया. उन्होंने कहा कि चीन से मुकाबला करने के लिए भारत के निर्माण क्षेत्र को मजबूत बनाना चाहिए.  एशिया की अर्थव्यवस्था के पश्चिमी अर्थव्यवस्था से अधिक वृद्धि करने पर नारायणन ने कहा, ‘‘दुनिया में एक समय पर दो आबादियों के एक साथ वृद्धि करने और वो भी एक ही क्षेत्र में, ऐसा विरले ही देखा गया है तथा इसके परिणाम हितकारी नहीं रहे हैं. चीन और भारत राजनीति, अर्थव्यवस्था तथा सेना जैसे कई मोर्चो पर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं.’’ 

पूर्व एनएसए ने कहा कि हालांकि मौजूदा समय में अमेरिका उनका मुख्य विरोधी है लेकिन चीन मानता है कि उन्हें असली चुनौती भारत से मिलेगी. भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख एयर मार्शल (सेवानिवृत) अरुप राहा ने कहा कि अपने पड़ोसियों से मित्रवत व्यवहार करने पर चीन के खतरे से निपटने के लिए भारत को पड़ोसियों को सैन्य साजोसामान बेचकर तथा संयुक्त सैन्य अभ्यास करके इन देशों से दोस्ती बढ़ानी चाहिए. (इनपुट भाषा से)

VIDEO: कैसे काला हुआ ब्रह्मपुत्र नदी का पानी?
 

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