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This Article is From May 04, 2015

ये क्या हुआ : नीतीश कुमार को केंद्र से नहीं मिली नेपाल जाने की इजाजत

ये क्या हुआ : नीतीश कुमार को केंद्र से नहीं मिली नेपाल जाने की इजाजत
नीतीश कुमार की फाइल फोटो
नई दिल्ली/पटना: नेपाल के मसले को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आमने-सामने हैं। दरअसल, नीतीश नेपाल के भूकंप प्रभावित इलाके जनकपुर जाना चाहते थे, लेकिन राज्य सरकार का आरोप है कि उन्हें केंद्र सरकार से अनुमति ही नहीं मिली।

नाराजगी की वजह
नीतीश कुमार इस बात से नाराज हैं कि विदेश मंत्रालय उनकी नेपाल यात्रा के किसी भी अनुरोध को गंभीरता से नहीं लेता। नीतीश इससे पहले भी दो बार नेपाल जाने की इच्छा जता चुके हैं।

प्रोटोकॉल के तहत लेनी पड़ती है इजाजत
असल में अगर कोई सीएम विदेश के दौरे पर जाता है तो प्रोटोकॉल के तहत उसे पहले केंद्र से मंज़ूरी लेनी पड़ती है, हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव एस जयशंकर और प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके मिश्रा की हालिया यात्रा के बाद यह महसूस किया गया कि मुख्यमंत्री के लिए नेपाल की यात्रा पर जाने का यह उचित समय नहीं है।

विदेशमंत्रालय का जवाब
विदेशमंत्रालय की ओर से कहा गया है कि  नीतीश का दौरा रद्द नहीं किया गया है, सिर्फ़ कुछ वक़्त के लिए टालने को कहा गया है। विदेश मंत्रालय ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुझाव दिया है कि वह नेपाल की अपनी यात्रा को टाल दें और ‘अधिक उपयुक्त’ समय पर यह यात्रा करें।

इससे पहले भी विदेश मंत्रालय कर चुका है इनकार
यह तीसरी बार है कि उनकी यात्रा पर विदेश मंत्रालय ने अपनी असमर्थता जताई है। नीतीश दरअसल, जनकपुर जाना चाहते हैं, जो बिहार में भीत्तमोरे से मात्र २० किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन दूरी मात्र 20 किलोमीटर की हो, इसके लिए विदेश मंत्रालय और नेपाल सरकार की सहमति के बिना दौरा संभव नहीं हो सकता। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सार्क शिकार सम्मलेन के दौरान जनकपुर की यात्रा करने की इच्छा जताई थी, लेकिन उस समय भी सुरक्षा कारणों और नेपाल सरकार की राजामंदी न होने के कारण यात्रा की सारी तैयारी धरी की धरी रह गई थी।

जहां तक नीतीश कुमार का सवाल है तो पिछले साल अगस्त में जब सप्तकोसी में एक डैम टुटा था तब उन्होंने वहां के प्रभावित इलाकों का दौरा करने की इच्छा जताई थी। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नेपाल की यात्रा पर थे इसलिए विदेश मंत्रालय ने उन्हें दौरा टालने के लिए मनाया था।

इससे पूर्व जब पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला का देहांत हुआ था तब भी उनके अंतिम संस्कार में नीतीश कुमार शामिल होना चाहते थे तब भी भारत सरकार ने हाथ खड़े कर दिए थे कि उन्हें कोइराला (जिनका बिहार और पटना से बहुत पुराना संबंध रहा था) के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

सवाल यह है कि नीतीश जिन्हें मालूम है कि फिलहाल नेपाल सरकार का हर अधिकारी राहत और बचाव कामों में व्यस्त है। वे आखिर उनकी अगुवाई की तैयारी कैसे कर सकते हैं, शायद उन्हें स्वयं भी इस बात का अंदाजा है, लेकिन वह तराई में रह रहे भारतीय मूल के लोगों को ये अहसास करना चाहते हैं कि संकट की इस घड़ी में वह उनके साथ हैं और भारत सरकार नहीं चाहती कि वह उनके पास आएं।

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