जम्मू-कश्मीर में चारों तरफ बाढ़ से बरबादी का मंजर दिख रहा है। अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कई जगहों पर लोग अपने−अपने घरों में फंसे हुए हैं। राज्य के 390 गांव पानी में डूबे हुए हैं, जिनमें 50 बुरी तरह प्रभावित हैं, हालांकि राहत की खबर यह है कि मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों में राज्य में भारी बारिश की संभावना से इनकार किया है, जिसकी वजह से यह उम्मीद जताई जा रही है कि आज राहत और बचाव कार्य में तेजी आएगी।
सेना और एनडीआरएफ की टीमें बचावकार्य में जुटी है। हेलीकॉप्टरों के जरिये लोगों को बाहर निकालने का काम और उन तक रसद, दवाई, टेंट पहुंचाने का काम जारी है। सेना ने अब तक 23,500 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है।
थल सेना अध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह ने कहा है कि जब तक अंतिम व्यक्ति को भी सुरक्षित नहीं निकाल लिया जाता तब तक सेना अपने कैंप में नहीं जाएगी।
सेना ने ऑपरेशन मेघ राहत के लिए करीब 20,000 जवानों को लगाया है। सेना की 215 टुकड़ियां, 65 मेडिकल टीम और 15 इंजीनियर कश्मीर घाटी में बचावकार्य में लगे हुए हैं।
संचार सेवा पूरी तरह से ठप पड़ चुकी है। बारिश के बाद जम्मू-श्रीनगर हाइवे 200 मीटर कट चुका है, यानी जम्मू−कश्मीर बाकी देश से फिलहाल सिर्फ हवाई रास्ते से जुड़ा हुआ है।
जम्मू−कश्मीर से राहत देने वाली दो खबरें हैं। एक तो सोमवार को बारिश नहीं हुई। दूसरी यह कि आने वाले चार दिनों में भी भारी बारिश का अंदेशा नहीं है, लेकिन इस राहत के मुकाबले वह आफत कई गुना बड़ी है, जो आसमान से बरसी है। लगातार पांच दिन हुई बारिश के बाद जम्मू श्रीनगर हाइवे 200 मीटर कट चुका है यानी जम्मू−कश्मीर बाकी देश से फिलहाल सिर्फ हवाई रास्ते से जुड़ा हुआ है।
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