भारतीय वायुसेना (Indian Air force) के लापता एएन-32 (AN-32) विमान का मलबा आठ दिन बाद मिला. AN-32 विमान का मलबा अरुणाचल प्रदेश के टाटो इलाके में लगभग 12,000 फुट की ऊंचाई पर मिला. सूत्रों की तरफ से शेयर किए गए तस्वीर में AN-32 विमान का मलबा और झुलसे हुए पेड़ साफ नजर आ रहे हैं, जो इशारा करते हैं कि जब विमान गिरा होगा तो कितनी जबर्दस्त आग लगी होगी. बता दें कि बीते 3 जून को लापता हुए AN-32 विमान ने 8 क्रू मेंबर और 5 यात्रियों के साथ उड़ान भरी थी. इस विमान को तलाशने के लिए इंडियन एयरफोर्स ने लगातार अभियान जारी कर रखा था.
Visual of the wreckage of the missing AN-32 spotted earlier today 16 Kms North of Lipo, North East of Tato, at an approximate elevation of 12000 ft, in Arunachal Pradesh by the IAF Mi-17 Helicopter undertaking search in the expanded search zone pic.twitter.com/8ASt4uZXdE
— ANI (@ANI) June 11, 2019
अरुणाचल प्रदेश की दुर्गम पहाड़ियों पर जहां AN-32 का मलबा दिख रहा वहां तक पहुंचना भी किसी इम्तिहान से कम नहीं है. अरुणाचल प्रदेश के डीजीपी एसबीके सिंह ने बताया कि सेना, वायुसेना और स्थानीय प्रशासन की आपसी तालमेल के लिए बैठक हुई है. उन्होंने बताया कि जहां मलबा है, वहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल काम है. कायिंग का जो सबसे करीबी पुलिस स्टेशन है, वहां पैदल तीन-चार घंटे लग सकते हैं. इसके अलावा 12-14 ट्रैक पार करने पड़ते हैं और घने जंगल रास्ता मुश्किल करते चलते हैं.
वहीं, वायुसेना ने बताया है कि वायुसेना, सेना और स्थानीय प्रशासन की पर्वतारोही टीम बनाई जा रही है. उन्हें हेलीकॉप्टरों से वहां पहुंचाया जाएगा, ताकि वो बचे हुए लोगों और दूसरी चीज़ों की तलाश कर सकें. सड़क के रास्ते जाने की कोई कवायद अभी नहीं की जा रही है. यानी अब भी बचाव का आख़िरी दौर बाक़ी है.
लापता भारतीय विमान का मलबा मिला, जानिये Air Force के लिए क्यों खास है AN-32
1986 में एयरफोर्स में हुआ था शामिल
रूस निर्मित एएन-32 (AN-32) परिवहन विमान को 1986 में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था. वर्तमान में, भारतीय वायुसेना 105 विमानों को संचालित करती है जो ऊंचे क्षेत्रों में भारतीय सैनिकों को लैस करने और स्टॉक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसमें चीनी सीमा भी शामिल है. 2009 में भारत ने 400 मिलियन का कॉन्ट्रैक्ट यूक्रेन के साथ किया था जिसमें एएन-32 की ऑपरेशन लाइफ को अपग्रेड और एक्सटेंड करने की बात कही गई थी. अपग्रेड किया गया एएन-32 आरई एयरक्राफ्ट 46 में 2 कॉन्टेमपररी इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर्स शामिल किए गए हैं. लेकिन एएन-32 को अब तक अपग्रेड नहीं किया गया था.
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सेना के लिए भरोसेमंद है AN-32
AN-32 सेना के लिए काफी भरोसेमंद विमान रहा है. दुनियाभर में ऐसे करीब 250 विमान सेवा में हैं. इस विमान को नागरिक और सैनिक दोनों हिसाब से डिजाइन किया गया है. वैसे ये विमान रूस के बने हुए हैं, जिसमें दो इंजन होते हैं. ये विमान हर तरह के मौसम में उड़ान भर सकता है. रूस के बने हुए ये दो इंजन वाले विमान काफी भरोसेमंद हैं. इसका इस्तेमाल हर तरह के मैदानी, पहाड़ी और समुद्री इलाकों में किया जाता रहा है. चाहे वो सैनिकों को पहुंचाने की बात हो या समान के ढ़ोने की.
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इस विमान की क्षमता क्रू सहित करीब 50 लोग या 7.5 टन पैसेंजर ले जाने की है. 530 किलोमीटर प्रतिघंटे से उड़ान भरने वाले इस विमान का रेंज 2500 किलोमीटर तक है. ये विमान ईंधन भरे जाने के चार घंटे तक उड़ान भर सकता है. वायुसेना में मौजूदा एएन-32 न केवल आधुनिक साजो समान से लैस है, बल्कि ये नए संचार सिस्टम, बेहतर लैडिंग व्यवस्था जैसे सिस्टम से भी लोडेड है. दूसरे रूसी विमान की तरह ये ज्यादा आरामदायक तो नहीं है लेकिन सैन्य और नागरिक जरूरतों के लिहाज बेहत उत्तम है.
VIDEO: अरुणाचल प्रदेश के सियांग में मिला AN-32 विमान का मलबा
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