यह ख़बर 03 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

शूटआउट एट शंटी हाउस : बाल-बाल बचे बीजेपी विधायक

नई दिल्ली:

दिल्ली के शाहदारा से बीजेपी विधायक जितेंद्र सिंह उर्फ शंटी के घर की घंटी बुधवार की सुबह करीब 5:30 बजे घर्र-घर्र बज रही थी। शंटी के मुताबिक कई बार घंटी बजी, तो उन्होंने अपनी पत्नी से गेट खोलने को कहा, लेकिन पत्नी से पहले विधायक खुद उठकर दरवाजा खोलने पहुंच गए।

जैसे ही दरवाजा खोला, काले रंग का हेलमेट पहने एक शख्स ने उनसे कुछ पेपर अटेस्ट करने को कहा। शंटी ने पेपर लिए और घर के अंदर जाने लगे, लेकिन उसी बीच अनजान शख्स ने उन्हें पकड़कर अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया। हाथापाई में हमलावर ने एक पिस्टल निकालकर प्वाइंट ब्लैंक रेंज से उन पर तीन गोलियां चलाईं, लेकिन शंटी बाल-बाल बच गए।

इसी बीच दरवाजे के अंदर से एमएलए का बेटा मनीष भी आ गया। दोनों ने हमलावर को पकड़ने को कोशिश की, लेकिन तक वह फरार हो चुका था। वारदात की पूरी तस्वीरें सीसीटीवी में कैद हैं।

पुलिस की जांच

मौके पर पहुंची पुलिस ने शंटी के घर के बाहर से तीन खाली कारतूस बरामद किए हैं। फोरेंसिक एक्सपर्ट, क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल ने भी घटनास्थल की बारीकी से जांच की, लेकिन अब तक न तो वारदात का मकसद पता चला है और न ही हमलावरों का कोई सुराग मिला है। चश्मदीदों ने पुलिस को बताया कि हमलावर एक सफेद रंग की हुंड्ई वेरना कार से आए थे।

पहले भी हुए हमले

शंटी ने बताया कि उन पर 2007 में भी फायरिंग हुई थी और 2008 में भी उन पर जानलेवा हमला हो चुका है। इसकी शिकायत भी पुलिस में दर्ज है। शंटी का कहना है कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। उनके मुताबिक उनके पास पेपर अटेस्ट कराने के लिए सुबह-सुबह लोग आते रहते हैं और कई बार लोग हेलमेट पहनकर भी आ जाते हैं।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

कौन हैं शंटी

जितेंद्र सिंह शंटी ने 1995 में शहीद भगत सिंह सेवादल शुरू किया, जिसमें लोगों को नि:शुल्क शव वाहन सेवा और ब्लड कैंप के जरिए लोगों में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 2007 में पार्षद के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2012 में वह अकाली दल-बीजेपी गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में एक बार फिर पार्षद चुने गए। 2013 में उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर अपनी किस्मत आजमायी और जीत हासिल की।