देश के जाने-माने अस्पतालों में से एक मेदांता हॉस्पिटल और उसके चेयरमैन डॉक्टर नरेश त्रेहान के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. मेदांता हॉस्पिटल ने बयान में कहा कि "एक शख्स ने अस्पताल और उसके चेयरमैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है. उसने सिर्फ सुर्खियों में आने के लिए बिना अपने दावों के जांच के इस तरह के गैरजिम्मेदाराना और बेबुनियाद आरोप लगाए हैं." अस्पताल ने दिल्ली के करीब गुरुग्राम में 53 एकड़ जमीन हासिल करने में भ्रष्टाचार के आरोपों का सिरे से खंडन किया है.
बता दें कि हाल ही में मेदांता और उसके चेयरमैन नरेश त्रेहान के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई है. यह एफआईआर रमन शर्मा नाम के एक शख्स द्वारा दर्ज करवाई गई है. अस्पताल के मुताबिक, 2015 में जबरन वसूली (Extortion) की एक शिकायत में शर्मा का नाम आया था.
अस्पताल का आरोप है कि शर्मा हरियाणा की एक अदालत से एफआईआर दर्ज कराने का आदेश हासिल करने में कामयाब रहा. इससे पहले दिल्ली की अदालतों में भी उसने इस तरह की कोशिश की थी. हालांकि, नाकाम रहा.
शर्मा खुद को आरटीआई कार्यकर्ता बताते हैं. उन्होंने कहा कि 2014 में सरकारी अधिकारियों ने स्थानीय लोगों से जमीन का अधिग्रहण किया था. अधिकारियों ने बाद में मेदांता और डॉक्टर के पक्ष में नियमों को तोड़ा-मरोड़ा था.
मेदांता अस्पताल ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसके (शर्मा के) आरोपों को अस्पष्ट, अनिर्दिष्ट पाते हुए और पूरी शिकायत में अपने दावे के संबंध में एक भी पर्याप्त विवरण नहीं होने पर शिकायत को खारिज कर दिया था. उसके बाद शर्मा ने हरियाणा की एक अदालत का रुख किया. अदालत ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. अस्पताल ने कहा कि शर्मा ने अदालत से पूर्व में की गई अपनी कोशिशों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां को छिपाकर एफआईआर का आदेश हासिल किया है.
मेदांता का पूरा बयान
हम मेदांता और उसके चेयरमैन के खिलाफ लगाए गए आरोपों को देखकर स्तब्ध हैं. एक व्यक्ति ने सुर्खियों में आने के लिए बिना अपने दावों की जांच किए गैरजिम्मेदाराना और ओछे आरोप लगाए हैं. वह मीडिया में स्थान पाने में कामयाब रहा. जबकि मेदांता अपने काम को लेकर और स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता को लेकर जाना जाता है.
एक व्यक्ति रमन शर्मा, जिसके मीडिया द्वारा एक आरटीआई कार्यकर्ता होने का दावा किया जा रहा है. उसके द्वारा हमारे चेयरमैन और अन्य के खिलाफ लगाए गए आरोप गलत और बेबुनियाद हैं. ये आरोप बेतुके हैं, और वास्तव में, जो नजरअंदाज किया गया है, वह यह है कि रमन शर्मा ने इसी तरह के पहले भी दो मामले दर्ज किए थे. एक पटियाला हाउस कोर्ट में और एक दिल्ली उच्च न्यायालय में. दोनों ही मामलों को खारिज कर दिया गया था और न्यायाधीश ने उसके आरोपों को "अस्पष्ट, अनिर्दिष्ट बताते हुए और पूरी शिकायत में एक भी ऐसा वाक्या नहीं होने पर जिसमें पर्याप्त विवरण मौजूद हो, यह देखते हुए खारिज कर दिया था.
दिल्ली की अदालतों में नाकाम रहने के बाद वह गुरुग्राम की जिला अदालत गया. उसने कोर्ट में इस बात का खुलासा नहीं किया कि पूरी जांच-पड़ताल हो चुकी है और आरोपों को आधारहीन पाया गया है. इस तरह से उसने अदालत को अपने पक्ष में एक आदेश पारित करने के लिए गलत तरीके से गुमराह किया, जिसे पारित नहीं होना चाहिए था.
रमन शर्मा पर 2015 में जबरन वसूली (Extortion) का आरोप लगा था और उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी. फरीदाबाद के सेंट्रल पुलिस स्टेशन में 10-10-2015 को एफआईआर (0548) दर्ज हुई थी. आरटीआई कार्यकर्ता होने का दावा किए जाने से फिरौती मांगने वाले को एक बुनियादी मदद (Fertile Breeding Ground) मिली. हकीकत यह है कि उसकी शिकायत में आरोप 16 साल पुराने भूमि आवंटन से जुड़ा है, जिस पर अस्पताल का निर्माण किया गया है. हमें अपने गवर्नेंस के मजबूत सिद्धाओं और वित्तीय पारदर्शिता पर गर्व है. शिकायत में लगाए गए आरोप बेतुके हैं.
हम वैश्विक महामारी के बीच खड़े हैं. 65 साल से अधिक की उम्र होने के बावजूद, हमारे चेयरमैन समेत हमारे कई डॉक्टर निस्वार्थ भाव से इस महामारी का सामना करते हए मरीज़ों की सेवा में लगे हैं. हर दिन दूसरों की सेवा करने के लिए वे खुद की जान को जोखिम में डालते हैं. हमें इस बात का दुख है कि हर दिन वे जो साहस दिखाते हैं, उसके बीच में उन्हें पूरी तरह से दुर्भावना के उद्देश्य से और झूठे आरोपों को सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
कुछ लोगों द्वारा उत्पीड़न के बावजूद, हम अपनी ऊर्जा और संसाधनों को जीवन बचाने और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे. खासकर ऐसे समय में जब इन पर ध्यान देना सबसे जरूरी है.
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