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This Article is From Jun 04, 2015

जेटली ने मॉनसून को लेकर आशंकाओं को नहीं दी तवज्जो, कहा खाद्यान्न की कमी नहीं

जेटली ने मॉनसून को लेकर आशंकाओं को नहीं दी तवज्जो, कहा खाद्यान्न की कमी नहीं
वित्त मंत्री अरुण जेटली की फाइल फोटो
नई दिल्‍ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कमजोर मॉनसून को लेकर व्यक्त की जा रही आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि ऐसे अनुमान के आधार पर मुद्रास्फीति या फिर दूसरे संकट के बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना अतिश्योक्ति होगी।

जेटली ने कहा कि पिछले 48 घंटों और जब से भारतीय मौसम विभाग ने मॉनसून की कमी को लेकर पूर्वानुमान घोषित किया है, अतिश्योक्तिपूर्ण तरीके से निष्कर्ष लगाये जा रहे हैं, इसलिये इस विषय पर वित्त मंत्रालय के विचारों को व्यक्त करना जरूरी हो गया था।

शेयर बाजार में पिछले तीन दिन से जारी गिरावट को रुझान मानने से इनकार करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि विशेषतौर पर अप्रत्यक्ष करों का राजस्व संग्रह - एक मुख्य संकेतक ने प्रभावी उछाल दिखाया है। जेटली ने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में मॉनसून कमजोर रहने के पुर्वानुमान से खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र सिंचाई सुविधाओं से युक्त है जबकि देश के दूसरे क्षेत्रों में मॉनसून सामान्य रहेगा। इसके अलावा किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये देश में काफी खाद्यान्न भंडार है।

जेटली ने संवाददाताओं से कहा, ‘इस बारे में जिस तरह की अटकलें हम देख रहे हैं और जिस तरह के बढाचढ़ाकर किये गये विश्लेषण हमें पढ़ने को मिल रहे हैं वह उपयुक्त नहीं हैं। जो बात इस संबंध में सही है वह यही है कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर उल्लेखनीय असर होगा।’ जेटली ने कहा कि इस संबंध में जो बात प्रासांगिक है वह है मॉनसून का भौगालिक आधार पर वितरण और वर्षा का समय।

भारतीय मौसम विभाग ने मंगलवार को मॉनसून के बारे में पूर्वानुमान व्यक्त करते हुये कहा कि दीर्घकालिक औसत के लिहाज से मॉनसून 88 प्रतिशत रहेगा। उधर रिजर्व बैंक ने सरकार से कमजोर मॉनसून की स्थिति से निपटने के लिये आपात योजना तैयार करने को कहा है।

मॉनसून और रिजर्व बैंक की आर्थिक वृद्धि को लेकर व्यक्त अनुमानों के चलते पिछले तीन दिन में बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 1,035.57 अंक गिर चुका है।

मॉनसून के बारे में मौसम विभाग की भविष्यवाणी के बाद जेटली ने मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की बुधवार को एक बैठक बुलाई और उनके साथ पूर्वानुमान के बारे में विस्तृत विश्लेषण किया।

जेटली ने कहा, ‘उनके अग्रिम अनुमान के मुताबिक हम दक्षिण, मध्य और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में काफी कुछ सामान्य के करीब होंगे। जो थोड़ी बहुत कमी होगी, यदि ऐसा होता है, तो वह उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में होगी और उत्तर-पश्चिम के बड़े क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है।’

वित्त मंत्री ने कहा, ‘ऐसा मानते हुये कि मौसम विभाग के पुर्वानुमान सही हैं, तो भी वर्षा के भौगोलिक वितरण को देखते हुये खाद्यान्न उत्पादन पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं होगा।’ जेटली ने कहा कि पिछले साल भी मॉनसून की यह चाल थी। इस साल मॉनसून के बारे में जो अग्रिम अनुमान व्यक्त किये गये हैं वह पिछले साल से कुछ बेहतर हैं। ‘कुछ भी हो हमारे पास काफी मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध है और ऐसे में जिस तरह का खाद्य प्रबंधन पिछले साल देखा गया है, उससे मुद्रास्फीति को किसी भी रूप में रोकने में मदद मिली।’

जेटली ने कहा कि मौसम के बारे में व्यक्त किये गये अनुमान के आधार पर इस समय मुद्रास्फीति अथवा किसी अन्य संकट के बारे में कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी।

उन्होंने कहा, ‘मैं इस तरह की स्थिति की उम्मीद नहीं करता हूं, यहां तक कि जिस तरह के अनुमान व्यक्त किये हैं, उसमें भी ऐसी उम्मीद नहीं है।’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘इस संबंध में कुछ दूसरे रझान जो उपलब्ध हैं। कुछ दिन पहले आर्थिक वृद्धि के जो आंकड़े आए हैं वह अपने आप में सकारात्मक संकेत देते हैं। सार्वजनिक व्यय की मात्रा बढ़ी है और अगले कुछ महीनों के दौरान आप कहीं ज्यादा वृद्धि इसमें देखेंगे।’

उन्होंने कहा कि राजस्व, विशेष अप्रत्यक्ष कर राजस्व जो कि इसका एक अहम संकेतक हैं, उसमें प्रभावी वृद्धि दर्ज की गई है। ‘पिछले कुछ महीनों के दौरान मुझे बैंकवार आंकड़े मिल रहे हैं, कई रुकी पड़ी परियोजनायें चालू हुई हैं और कुछ को आगे बढ़ाने की जरूरत है।’

जेटली ने कहा, ‘बैंकों की गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) में गिरावट का रख है और इसलिये इन रुझानों को देखते हुये मुझे अर्थव्यवस्था में सुधार का रुख जारी रहने की उम्मीद दिखाई देती है।’ वित्त मंत्री ने कहा कि खाद्य प्रबंधन सरकार की जिम्मेदारी है और जो खाद्यान्न का बफर स्टॉक उपलब्ध है उसका इस्तेमाल कीमतों को कम करने के लिये किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि मौजूदा वर्ष में स्थिति पिछले साल के मुकाबले बेहतर रहने की उम्मीद है। जेटली ने कहा कि पिछले साल सरकार ने प्याज और टमाटर के दाम को नियंत्रित किया। उन्होंने कहा कि इस समय दालों के दाम से निपटने के कदम उठाये जा रहे हैं। अप्रैल माह में दालों की मुद्रास्फीति 15.38 प्रतिशत रही है जो कि मार्च में 13.22 प्रतिशत पर थी। पिछले लगातार चार माह से दालों की मुद्रास्फीति दहाई अंक में बनी हुई है।

जेटली ने कहा कि सरकार कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि करने जा रही है। उन्होंने कहा, ‘विचार विमर्श की प्रक्रिया जारी है और जल्द ही इसे मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जायेगा।’

शेयर बाजार में आई गिरावट के बारे में जेटली ने कहा कि इसे रुझान मानने का कोई उचित आधार नहीं है। ‘बाजार में एक या दो दिन की प्रतिक्रिया अपने आप में किसी रुझान का संकेत नहीं होती .. जहां तक बाजार का सवाल है दैनिक घटबढ़ में मुझे ज्यादा कुछ नहीं लगता।’

उन्होंने कहा, ‘...कुल मिलाकर अर्थव्यवसथा के हालात सुधर रहे हैं, बाजार की जहां तक बात है मुझे इसमें व्यापक स्तर पर स्थिरता की उम्मीद है। और इस लिहाज से सरकार का विनिवेश कार्यक्रम योजना के अनुरूप आगे बढ़ेगा।’ सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश को जरिये 69,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। मनरेगा के लिये आवंटन के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि योजना के लिये 5,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त उपलब्ध कराये जाएंगे।

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