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This Article is From Aug 12, 2018

अब डोकलाम और सियाचिन में तैनात सैनिकों के कपड़े और उपकरण भारत में ही बनेंगे

भारतीय थल सेना विश्व के सबसे खतरनाक युद्ध क्षेत्रों में से एक सियाचिन में तैनात अपने सैनिकों के लिए विशेष कपड़े, स्लीपिंग किट्स और जरूरी उपकरण के उत्पादन की काफी समय से लंबित योजना को अंतिम रूप देने में लगी है.

अब डोकलाम और सियाचिन में तैनात सैनिकों के कपड़े और उपकरण भारत में ही बनेंगे
प्रतीकात्मक फोटो
नयी दिल्ली: भारतीय थल सेना विश्व के सबसे खतरनाक युद्ध क्षेत्रों में से एक सियाचिन में तैनात अपने सैनिकों के लिए विशेष कपड़े, स्लीपिंग किट्स और जरूरी उपकरण के उत्पादन की काफी समय से लंबित योजना को अंतिम रूप देने में लगी है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 16,000 से 20,000 फुट की ऊंचाई पर ग्लेशियर की रक्षा में तैनात सैनिकों की रक्षा के लिए एक्स्ट्रीम कोल्ड वेदर क्लॉदिंग सिस्टम और पर्वतारोहण किट के आयात में भारत हर वर्ष 800 करोड़ रुपये खर्च करता है. 

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सैन्य सूत्रों ने बताया कि इन सामग्रियों के देश में उत्पादन के जरिये नौसेना का लक्ष्य हर वर्ष करीब 300 करोड़ रुपये की बचत करना है. वर्तमान में इन चीजों का आयात अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और स्विटजरलैंड जैसे देशों से किया जाता है. एक सूत्र ने बताया, “हमने परियोजना को लगभग अंतिम रूप दे दिया है, जिसके तहत सियाचिन ग्लेशियर में तैनात सैनिकों की जरूरत के अधिकतर उपकरण का निर्माण निजी क्षेत्र के सहयोग से भारत में ही किया जाएगा.” 

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सूत्रों ने यह भी बताया कि भारत में निर्मित किए जाने वाले कुछ कपड़ों की आपूर्ति भारत चीन सीमा पर स्थित डोकलाम जैसे अत्यधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात जवानों को भी की जाएगी.

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