सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में आरक्षण लेकर पिछले साल हुए पटेल आंदोलन की फाइल फोटो
अहमदाबाद:
उड़ता पंजाब के बाद गुजराती फिल्म 'सलगतो सवाल अनामत' - यानि आरक्षण एक सुलगता सवाल फिल्म अब सेंसर विवाद में फंसी है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन की विषयवस्तु से जुड़ी कई फिल्में अब गुजराती फिल्म इंडस्ट्री या ढोलीवुड में बन रही हैं। लेकिन सलगतो सवाल अनामत फिल्म में सेंसर बोर्ड ने करीब 100 कट करने को कहा है। कई जगह पर पटेल शब्द हटाने को भी कहा है।
फिल्म के निर्माताओं के अनुसार बोर्ड का कहना है कि इसमें बाबा साहब अंबेडकर का नाम और फिल्म के लीड केरेक्टर के आंदोलन से जुड़े एक नेता जैसे लगने से कानून व्यवस्था का प्रश्न हो सकता है। इस फिल्म के निर्देशक राजेश गोहिल का कहना है कि ये फिल्म हार्दिक पटेल पर आधारित नहीं है। इसमें पाटीदार आरक्षण का एक अलग नजरिया लिया गया है। इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो बाबा साहब अंबेडकर के खिलाफ है।
दूसरी फिल्म पावर ऑफ पाटीदार तो 22 साल के हार्दिक पटेल पर आधारित है। इसलिए इस फिल्म के निर्माताओं को अभी से लगने लगा है कि उनकी फिल्म भी सेंसर के विवादों में फंस सकती है। अब सरकार उनकी फिल्म का विरोध न करे इसलिए उन्होंने एक खत लिखकर मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को पहले ही फिल्म देखने का न्यौता दिया है।
इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक महेश पटेल का कहना है कि फिल्म के लिये तो हमने अपना एक लेटर लिखकर बताया है कि पहले मूवी देखे बिना सेंसर में फिल्म का विरोध मत कीजियेगा। अगर सरकार को कुछ भी समस्या लगती है तो पहले उनसे चर्चा की जाय और अगर कोई बात राज्य के खिलाफ जा रही होगी तो वो उसे बदलने को तैयार हैं।
राज्य में अन्य कई फिल्में भी पाटीदार आरक्षण की मांग की विषयवस्तु पर बन रही हैं। इस बीच राज्य सरकार की एजेंसियां भी इन फिल्मों पर पैनी नजर रख रही हैं क्योंकि उन्हें भय है कि कहीं इससे आरक्षण आंदोलन दोबारा न खड़ा हो।
फिल्म के निर्माताओं के अनुसार बोर्ड का कहना है कि इसमें बाबा साहब अंबेडकर का नाम और फिल्म के लीड केरेक्टर के आंदोलन से जुड़े एक नेता जैसे लगने से कानून व्यवस्था का प्रश्न हो सकता है। इस फिल्म के निर्देशक राजेश गोहिल का कहना है कि ये फिल्म हार्दिक पटेल पर आधारित नहीं है। इसमें पाटीदार आरक्षण का एक अलग नजरिया लिया गया है। इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो बाबा साहब अंबेडकर के खिलाफ है।
दूसरी फिल्म पावर ऑफ पाटीदार तो 22 साल के हार्दिक पटेल पर आधारित है। इसलिए इस फिल्म के निर्माताओं को अभी से लगने लगा है कि उनकी फिल्म भी सेंसर के विवादों में फंस सकती है। अब सरकार उनकी फिल्म का विरोध न करे इसलिए उन्होंने एक खत लिखकर मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को पहले ही फिल्म देखने का न्यौता दिया है।
इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक महेश पटेल का कहना है कि फिल्म के लिये तो हमने अपना एक लेटर लिखकर बताया है कि पहले मूवी देखे बिना सेंसर में फिल्म का विरोध मत कीजियेगा। अगर सरकार को कुछ भी समस्या लगती है तो पहले उनसे चर्चा की जाय और अगर कोई बात राज्य के खिलाफ जा रही होगी तो वो उसे बदलने को तैयार हैं।
राज्य में अन्य कई फिल्में भी पाटीदार आरक्षण की मांग की विषयवस्तु पर बन रही हैं। इस बीच राज्य सरकार की एजेंसियां भी इन फिल्मों पर पैनी नजर रख रही हैं क्योंकि उन्हें भय है कि कहीं इससे आरक्षण आंदोलन दोबारा न खड़ा हो।
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