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This Article is From Dec 12, 2016

रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश को लेकर मोदी सरकार का कदम फेल! इस साल अभी तक नहीं मिला एक भी प्रस्ताव

रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश को लेकर मोदी सरकार का कदम फेल! इस साल अभी तक नहीं मिला एक भी प्रस्ताव
लोकसभा में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर...
नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद देश की रक्षा नीति में जो सबसे बड़ा परिवर्तन किया, वह रहा रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश को अनुमति देना. इस संबंध में मोदी सरकार ने 24 जून को बाकायदा एक अधिसूचना जारी की. नई नीति के अनुसार रक्षा क्षेत्र में एफडीआई 49 फीसदी तक की छूट दी गई थी और जहां भी तकनीक आने की संभावना हो वहां पर सरकार के जरिए इस निवेश की सीमा बढ़ाए जाने तक को मंजूरी दी गई थी.

लेकिन, देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के सरकार के इतने बड़े फैसले का असर भी तक कुछ भी नहीं हुआ है. अर्थात चालू वित्त वर्ष में सरकार को रक्षा क्षेत्र में निवेश का एक भी प्रस्ताव नहीं मिला है.

हाल ही लोकसभा में भर्तृहरि महताब और सत्यपाल सिंह ने पूछा कि क्या गत तीन वर्षों और चालू वित्त वर्ष के दौरान देश के रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है और यदि हां, तो उसके बारे में संसद को बताया जाए.

इसी प्रश्न के जवाब में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि गत दो वर्षों में एफडीआई नीति को क्रमिक रूप से उदारीकृत किया गया है. चूंकि रक्षा परियोजनाओं में लंबी गर्भाधान अवधि शामलि होती है और परियोजनाओं को अनुमोदन प्राप्त होने एवं संविदाओं को दिए जाने के बाद निवेश आने में समय लगता है इस लिए एफडीआई का प्रभाव दिखाई देने में काफी समय लगता है. पर्रिकर ने कहा कि वर्ष 2013-14 में, यूके से 8.22 लाख अमरीकी डॉलर की एफडीआई प्राप्त हुई थी. वर्ष 2014-15 में फ्रांस से 0.77 लाख अमरीकी डॉलर की एफडीआई प्राप्त हुई है. वर्ष 2015-16 में फ्रांस से 0.95 लाख अमेरिकी डॉलर की एफडीआई प्राप्त हुई है. चालू वित्त वर्ष में सितंबर, 2016 तक कोई एफडीआई प्राप्त नहीं हुई है.

उल्लेखनीय है कि 20 जून, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में फैसले के बाद ऐसी घोषणा की गई थी. रक्षा क्षेत्र के लिए उन मामलों में मंजूरी मार्ग से 49 प्रतिशत से ऊपर भी एफडीआई की अनुमति दी गई है जिनसे देश को आधुनिक प्रौद्योगिकी प्राप्त हो सकती है. सरकार ने ‘अत्याधुनिक’ प्रौद्योगिकी के प्रावधान को समाप्त कर दिया है. रक्षा क्षेत्र में अब तक 49 प्रतिशत से अधिक एफडीआई के प्रस्ताव पर पहले मामला दर मामला आधार पर मंजूरी मार्ग से किया जा सकता था बशर्ते उससे देश को ‘अत्याधुनिक’ प्रौद्योगिकी मिल सके. रक्षा क्षेत्र के लिए एफडीआई की सीमा को शस्त्र अधिनियम, 1959 के तहत छोटे हथियारों और अन्य युद्ध सामग्रियों गोला बारूद आदि बनाने वाले उद्योगों पर भी लागू किया गया है. एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र (एसबीटीआर) के बारे में स्थानीय स्तर पर खरीद के नियम को उदार कर छूट की अवधि तीन साल की गई है. वहीं ऐसी इकाइयों के लिए, जो ऐसे उत्पादों का एकल ब्रांड खुदरा कारोबार कर रही हैं जो ‘अत्याधुनिक’ प्रौद्योगिकी वाले हैं, यह सीमा पांच साल की गई है.

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