तमिलनाडु के तूतीकोरिन में पुलिस हिरासत में एक पिता और उसके बेटे की मौत की घटना के बाद पुलिस पर यातना देने के आरोप लग रहे हैं. मामले में राजनीति गर्माने के बाद कानून में सुधार की मांग उठने लगी है. विपक्षी दल डीएमके ने इस घटना पर एआईएडीएमके सरकार पर हमला बोला है . डीएमके का मामले पर कहना है कि सरकार ने इस घटना में पुलिस को कानून अपने हाथ में लेने कैसे दिया ? साथ ही मृतकों के परिवार को 25 लाख रुपये देने की घोषणा की है. डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा,"कथित तौर पर पुलिस द्वारा दो लोगों को जो यातना दी गई है ये राज्य सरकार द्वारा पुलिस को अपने हाथ में कानून लेने दिए जाने का नतीजा है."
बता दें कि पिता और उसके बेटे को पुलिस ने मोबाइल की दुकान खुले रखने के लिए गिरफ्तार किया था. निर्धारित समय के बाद भी दुकान खोले रखने पर दोनों को गिरफ्तार किया गया था. बाद में दोनों की अस्पताल में मौत हो गई थी.परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने पिता और बेटे की पुलिस हिरासत में जमकर पिटाई की थी. परिजनों का आरोप है कि पुलिस द्वारा की गई मारपीट और हिंसा के निशान मृतकों के शरीर पर थे. मृतकों के घरवाले चाहते हैं कि आरोपी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज किया जाए.
आज विरोध स्वरूप तूतीकोरिन में दुकानें बंद रखी गईं. मामले में चार पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है. मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामि ने घटना पर दुख जताया है पर यातना दिए जाने की बात पर मुख्यमंत्री ने चुप्पी साधी.सीएम ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये और नौकरी देने की बात कही है. विपक्ष के नेता एमके स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि इस बर्बरता के लिए जो लोग जिम्मेदार हैं उन्हें सख्त सजा दिए जाने की जरूरत है और इसमें उनकी पार्टी कानूनी सहायता देगी. सांसद कनिमोझी ने मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखा है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मामले पर दुख जताते हुए कहा कि दुख की बात है कि जब रक्षक ही शोषक बन जाता है. राहुल ने ट्वीट किया , "पुलिस द्वारा हिंसा एक जघन्य अपराध है. यह विडंबना है कि जब रक्षक ही शोषक बन जा रहे हैं. "