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This Article is From Jul 01, 2016

कैसे आपसे पहले तत्काल टिकट बुक कर लेते हैं एजेंट? रेलवे पुलिस ने किया खुलासा

कैसे आपसे पहले तत्काल टिकट बुक कर लेते हैं एजेंट? रेलवे पुलिस ने किया खुलासा
प्रतीकात्मक फोटो
मुंबई: रेल टिकट बुक करना हमेशा से मुश्किल भरा रहा है फिर चाहे वो टिकट खिड़की हो या रेलवे की वेबसाइट पर। आम आदमी की इस समस्या को दूर करने के लिए रेल विभाग लगातार अपने सिस्टम में सुधार करता रहा है लेकिन दलाल किसी न किसी तरीके से सुरक्षा या सिस्टम में सेंध लगा ही लेते हैं।

कुर्ला रेल सुरक्षा बल ने एक ऐसे ही गिरोह का पर्दाफाश किया है जो सॉफ्टवेयर के जरिए पल भर में ही तत्काल टिकट बुक कर हजारों रुपये कमीशन वसूलते थे। आम आदमी रेलवे की वेबसाइट पर तत्काल टिकट बुक करने के लिए सर्वर का लिंक मिलने का इंतजार ही करता रह जाता है और दलाल अपने कंप्यूटर पर पल भर में ही टिकट बुक कर ले जाते हैं। लेकिन कैसे ?

ऐसे कुछ सेकंड में बुक हो जाती है टिकट
इसका खुलासा खुद रेल टिकट के एक दलाल ने किया है। कुर्ला आरपीएफ द्वारा गिरफ्तार लवकुश यादव के मुताबिक नेट पर कई ऑनलाइन सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जिनके जरिए वे तेजी से आईआरसीटीसी की वेबसाईट एक्सेस कर टिकट बुक करते हैं। आम आदमी जहां कंप्यूटर पर सर्वर का लिंक मिलने के बाद ही अपना डीटेल भर पाता है। वहीं दलाल इन सॉफ्टवेयरों के जरिए पहले से सारी डिटेल भरकर तैयार रखते हैं। बुकिंग के समय जैसे ही सर्वर का लिंक खुलता है वे सिर्फ एंटर बटन दबाते हैं और पेमेंट की प्रोसेसिंग शुरु हो जाती है।


1500 से 5000 तक में मिलते हैं सॉफ्टवेयर
कुर्ला आरपीएफ थाना इंचार्ज सुरेश अत्री का कहना है कि टाइप करने वाला कितना भी तेज हो पूरी डिटेल भरने में एक मिनट से ज्यादा का वक्त लग ही जाता है तब तक ये दलाल सॉफ्टवेयर के जरिए टिकट बुक भी कर चुके होते हैं। दलालों की मानें तो तेज टिकट बुक करने में मदद करने वाले एक नहीं आधा दर्जन से भी ज्यादा सॉफ्टवेयर हैं। जो 1500 से 5 हजार रुपये तक में ऑनलाइन मिलते हैं और बेचने वाले दूर दूसरे राज्यों में या फिर विदेशों में कहीं बैठे होते हैं ।


अब तक 6 लोग हो चुके हैं गिरफ्तार
आरपीएफ का कहना है कि अब तक ऐसे सॉफ्टवेयर के जरिए तेजी से रेल टिकट बुक करने के 3 मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे मामलों में अब तक 6 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी  है जिनमें दलाल और सॉफ्टवेयर बेचने वाले भी शामिल हैं। मामला सिर्फ  रेल टिकट की दलाली का नहीं साइबर क्राइम का भी है इसलिए आईआरसीटीसी  के जरिए  मुंबई साइबर सेल की मदद भी लेने पर विचार चल रहा है।

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