संयुक्त किसान मोर्चो ने शनिवार को कहा कि किसान (Farmers) पांच जून को बीजेपी (BJP) सांसदों और विधायकों के कार्यालयों के सामने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर ‘संपूर्ण क्रांति दिवस' मनाएंगे. पिछले साल इसी दिन अध्यादेश लागू किए गए थे. अध्यादेश लागू होने के बाद पिछले साल सितंबर में संसद में तीनों कानून पारित किए गए और बाद में राष्ट्रपति ने इस पर मंजूरी दे दी.
केंद्र के तीनों कानूनों को वापस लिए जाने और अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर हजारों किसान पिछले साल नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. प्रदर्शन में शामिल 40 से ज्यादा किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि ‘‘पांच जून 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति की घोषणा की थी और तत्कालीन केंद्र सरकार के खिलाफ जन आंदोलन शुरू किया था. पिछले साल सरकार ने पांच जून को ही अध्यादेश के तौर पर किसान विरोधी कानूनों को प्रस्तुत किया था.''
किसान संगठन ने कहा, ‘‘संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच जून को देशभर में संपूर्ण क्रांति दिवस मनाने का फैसला किया है. हम नागरिकों से भाजपा सांसदों, विधायकों और प्रतिनिधियों के कार्यालयों के सामने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने की अपील करते हैं. इसे जन आंदोलन बनाया जाए और सरकार को कृषि कानून वापस लेने के लिए मजबूर किया जाए.''
प्रदर्शनकारी किसानों ने शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी और कृषि, किसानों और गांवों के विकास में उनके योगदान को याद किया.
संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक पंजाब के दोआबा से किसानों का एक बड़ा जत्था शनिवार को सिंघू बॉर्डर पर पहुंचा है और आगामी दिनों में कई और किसानों के आंदोलन से जुड़ने की संभावना है.
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