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This Article is From Jan 19, 2021

किसान नेता ने कहा- 26 जनवरी को हमारी ट्रैक्टर परेड निकलनी तय, पुलिस ने जताई है ये परेशानी

किसान नेता दर्शनपाल ने NDTV के साथ खास बातचीत में कहा कि पुलिस ने हमसे परेड के रूट और लोगों की संख्या को लेकर सवाल पूछे. पुलिस ने कहा है कि आउटर रिंग रोड पर परेड निकालने से परेशानी हो सकती है. वैसे, किसानों की ट्रैक्टर परेड निकलनी तय है.

किसान नेता ने कहा- 26 जनवरी को हमारी ट्रैक्टर परेड निकलनी तय, पुलिस ने जताई है ये परेशानी
किसानों की गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड निकालने की योजना है (प्रतीकात्मक फोटो)

कृषि कानूनों के विरोध में किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड (Farmers Tractor Parade)को लेकर किसानों और पुलिस के बीच मीटिंग खत्म हो गई है. किसान नेता दर्शनपाल ने एनडीटीवी के साथ खास बातचीत में कहा कि पुलिस ने हमसे परेड के रूट और लोगों की संख्या को लेकर सवाल पूछे. पुलिस ने कहा है कि आउटर रिंग रोड पर परेड निकालने से परेशानी हो सकती है. वैसे, परेड की परमिशन के बारे में दिल्ली पुलिस ने अभी तक कुछ नहीं कहा है. हमारी परेड निकलनी तय है.  बता दें कि किसानों ने दिल्ली पुलिस से 26 जनवरी को परेड के लिए लिखित परमिशन नहीं मांगी है.

बता दें कि किसान नेता राकेश टिकैत ने हाल ही में साफ-साफ कहा था कि जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मान लेती आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने गणतंत्र दिवस को लेकर भी कहा था कि इस बार यह ऐतिहासिक होगा. एक तरफ जवान परेड कर रहे होंगे और दूसरी तरफ किसान प्रदर्शन.

इससे पहले ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था. किसानों द्वारा 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली  के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में प्रवेश का मामला कानून और व्यवस्था का है, इसका निर्धारण पुलिस करेगी. आप कानून के हिसाब से कार्रवाई करें. CJI ने एपी सिंह को कहा कि दिल्ली में कौन आएगा कौन नहीं ये पुलिस तय करेगी. उस दिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर यही टिप्पणी करते हुए सुनवाई टाल दी थी.

गौरलतब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीनों नए कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगाने के बावजूद किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं होंगे वे प्रदर्शन करते रहेंगे.किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के साथ भी किसी तरह की बातचीत से इंकार कर दिया था. उनका कहना था कि समिति के सदस्य सरकार के पक्षधर रहे हैं और वे पहले ही इन कानूनों का समर्थन कर चुके हैं.

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