Kisan Aandolan: केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों ने अपने प्रदर्शन को और बढ़ाने का फैसला किया है. कृषि कानूनों के खिलाफ किसान मई में संसद मार्च करेंगे. यह जानकारी संयुक्त किसान मोर्चा की विज्ञप्ति में दी गई है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि संयुक्त किसान मोर्चा की आमसभा में निर्णय लिया गया है कि 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा और इस दिन देशभर में FCI के दफ्तरों का घेराव किया जाएगा.इसी क्रम में 10 अप्रैल को 24 घंटों के लिए केएमपी ब्लॉक किया जाएगा जबकि. 13 अप्रैल को वैशाखी का त्यौहार दिल्ली की सीमाओं पर मनाया जाएगा. 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर संविधान बचाओ दिवस मनाया जाएगा, इसी तरह 1 मई को मजदूर दिवस दिल्ली के बार्डर्स पर मनाया जाएगा. इस दिन सभी कार्यक्रम मजदूर किसान एकता को समर्पित होंगे. आंदोलन के और आगे बढ़ाते हुए मई के पहले पखवाड़े में संसद कूच किया जाएगा, इसमें महिलाएं, दलित-आदिवासी-बहुजन, बेरोज़गार युवा व समाज का हर तबका शामिल होगा.
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संयुक्त किसान मोर्चा के डॉ. दर्शन पाल की विज्ञप्ति के अनुसार, यह कार्यक्रम पूर्ण रूप से शांतपूर्ण होगा. अपने गांवों-शहरों से लोग दिल्ली के बॉर्डर तक अपने वाहनों से आएंगें, इसके बाद दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर्स तक पैदल मार्च किया जाएगा. संसद मार्च की निश्चित तारीख की घोषणा आने वाले दिनों में कर दी जाएगी. विज्ञप्ति में बताया गया है कि त्रिवेन्द्रम में 'नो वोट फॉर बीजेपी/एनडीए' के बैनर लगा रहे किसान नेता बीजू व अन्य पर भाजपा-आरएसएस के कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किया गया व उनको पीटा गया. हम इसकी कठोर शब्दों में निंदा करते हैं. किसान मोर्चा ने आह्वान किया है कि जनता भाजपा के खिलाफ वोट करे. मिट्टी सत्याग्रह यात्रा के तहत यात्रियों को दांडी में किसानों द्वारा 100 गांव की मिट्टी तथा बारदोली में 50 गाँव से लाई गई मिट्टी सौंपी गई. यात्रियों ने बताया कि मोदी सरकार किसानों की मिट्टी (जमीन) छीनकर पूँजीवादियों को सौंपना चाहती है, इसके खिलाफ यह यात्रा निकाली जा रही है.
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गाजीपुर बॉर्डर पर बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से प्रेस वार्ता करके एक परिपत्र जारी किया गया जिसमें बताया गया है कि इन कानूनों में 'काला' क्या है, किसान, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग क्यों कर रहे हैं, गन्ना किसानों पर व समय पर भुगतान पर क्या खराब असर पड़ेगा, इन कानूनों का बंटाईदारों व पशुपालकों पर क्या असर है, बिजली बिल से क्या परेशानी होने जा रही है और सरकार द्वारा कानूनों को स्थगित करने को लेकर किसानों का क्या विरोध है.
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