कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध के बीच कल की बातचीत होगी अहम, रणनीति बनाने में जुटे किसान, 10 बातें

Farm law: कृषि कानूनों (Farm law) के विरोध में गुरुवार को किसानों और सरकार के बीच हुई चौथे दौर की बैठक को एक हद तक पॉजिटिव माना जा सकता है. दोनों ही पक्षों ने बैठक में हुई बातचीत को लेकर संतोष जताया है, अगली बातचीत कल यानी शनिवार दोपहर को होगी,

कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध के बीच कल की बातचीत होगी अहम, रणनीति बनाने में जुटे किसान, 10 बातें

दिल्‍ली-मेरठ एक्‍सप्रेस के देश की राजधानी में प्रवेश ब्‍लॉक है

नई दिल्ली: Farmers Protest: कृषि कानूनों (Farm law) के विरोध में गुरुवार को किसानों और सरकार के बीच हुई चौथे दौर की बैठक को एक हद तक पॉजिटिव माना जा सकता है. दोनों ही पक्षों ने बैठक में हुई बातचीत को लेकर संतोष जताया है, अगली बातचीत कल यानी शनिवार दोपहर को होगी, माना जा रहा है कि कल की बैठक में कुछ समाधान निकल सकता है. किसान संगठनों के करीब 40 प्रतिनिधियों ने कल की बैठक के पूर्व दिल्‍ली-हरियाणा बॉर्डर पर अपनी भावी रणनीति और योजना पर गहन मंत्रणा की. किसान तीनों कानून रद्द होने से कम किसी भी बात पर मानने को तैयार नहीं है और अपने आंदोलन को जारी रखने को लेकर तीखे तेवर दिखा चुके हैं. किसान नेताओं ने कल राष्‍ट्रव्‍यापी प्रदर्शन की आह्वान किया है. आंदोलन आज नौवें दिन में प्रवेश कर गया.

किसानों के आंदोलन से जुड़ी 10 बातें

  1. किसानों ने दिल्‍ली पहुंचने वाले लगभग सभी रास्‍तों को ब्‍लॉक कर रखा है. देश की राजधानी में हर कहीं किसान ही नजर रहे हैं. यूपी और उत्‍तराखंड से दिल्‍ली-मेरठ एक्‍सप्रेसवे के जरिये राजधानी में एंट्री ब्‍लॉक है. पूर्वी दिल्‍ली को नोएडा से जोड़ने वाला रास्‍ता भी लगातार चौथे दिन आंशिक रूप से बंद है. डीएनडी फ्लाईवे और सरिता विहार रोड, नोएडा के लिए वैकल्पिक रूट हैं और ये खुले हुए हैं.

  2. गुरुवार की बैठक में किसानों के प्रतिनिधियों की ओर से 39 प्‍वाइंटस पर प्रजेंटेशन दिया गया. बैठक में कल सरकार ने किसान कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया था, जिससे किसानों ने इनकार कर दिया था. किसानों की मांग है कि सरकार को इन कानूनों में कोई संशोधन करने की जरूरत ही नहीं है क्योंकि वो चाहते हैं कि सरकार इन कानूनों को ही रद्द कर दे. कल की बैठक वैसे तो सौहाद्रपूर्ण माहौल में हुई लेकिन कोई समाधान तलाशने में राह अभी तक नहीं बन पाई है.

  3. किसान नेताओं के साथ लगभग 8 घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया से कहा, "सरकार खुले मन से किसानों के साथ चर्चा कर रही है. किसानों के साथ आज चौथे चरण की बैठक हुई. सौहार्द्रपूर्ण माहौल में बैठक हुई. किसानों और सरकार ने अपना-अपना पक्ष रखा है. 

  4. कृषि मंत्री ने कहा, 'कुछ बिंदुओं पर किसानों की चिंता थी, हम हर मुद्दे पर खुले मन से बात कर रहे हैं, हमारा कोइ अहम नहीं है. मंडियों को सशक्‍त बनाने पर विचार हुआ. ट्रेडर का रजिस्ट्रेशन हो यह हम सुनिश्चित करेंगे."

  5. उन्‍होंने कहा, " कोई विवाद होने पर एसडीएम कोर्ट या न्यायालय रहे ये यूनियन की चिंता थी. इस पर विचार करने के लिए हम पूरी तरह तैयार है. पराली के विषय पर ऑर्डिनेंस को लेकर किसानों की शंका है, विद्युत एक्ट को लेकर शंका है, उस पर भी सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है. 

  6. तोमर ने कहा कि न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) के बारे में किसानों की चिंता है. यह पहले भी जारी था, जारी है और आगे भी रहेगा. कृषि मंत्री ने कहा कि परसों यानी 5 दिसंबर को दोपहर को दोनों पक्षों की फिर बातचीत होनी है और उम्‍मीद है कि हम किसी सर्वसम्‍मत समाधान पर पहुंचेंगे. कृषि मंत्री पीयूष गोयल भी इस बैठक में सरकार की ओर से उपस्थित थे.

  7. किसान संगठनों का दावा है कि चौथे दौर की बातचीत में सरकार के रूप में नरमी आई है और वह अपने स्टैंड से पीछे हटती नजर आ रही है. राष्ट्रीय किसान मजदूर महासभा के शंकर देरेकर ने एनडीटीवी से कहा, "सरकार को उम्मीद थी कि जैसे जैसे दिन निकलेगा किसानों का आंदोलन कमजोर पड़ता जाएगा. लेकिन जमीन पर हालात बिल्कुल विपरीत रहे हैं. सरकार बैकफुट पर आ गई है यह किसानों की पहली जीत है. सरकार अपने स्टैंड से पीछे हटी है".

  8. दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई इस बैठक में किसान संगठनों ने नए कानून पर अपना विरोध जताने के साथ-साथ किसानों को एमएसपी की गारंटी देने के लिए एक नया कानून लाने की मांग भी रखी

  9. सिंघु बॉर्डर पर इकट्ठा हुए किसान यहीं अपना खाना-पीना-रहना कर रहे हैं. न्यूज एजेंसी ANI से एक किसान ने कहा, 'सरकार को हमारी समस्याएं सुनने और कानून में कमियां देखने में सात महीने लग गए.' ये किसान पिछले हफ्ते बुधवार से यहां बैठे हुए हैं और वो कृषि कानून वापस लिए जाने तक यहां बैठने को तैयार हैं.

  10.  किसान आंदोलन में महिलाएं भी दिख रही हैं.आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि इस किसान आंदोलन में महिलाएं महज रोटी बनाने नहीं आई हैं बल्कि कई महिलाओं की इस आंदोलन में अहम भूमिका है.