कृषि कानून (Farm Law) वापसी की घोषणा के बाद अब सभी की निगाहें किसान संगठनों पर हैं. आज सिंघु बॉर्डर पर आगे की रणनीति को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की सुबह 11.30 बजे बैठक होने वाली थी. लेकिन यह बैठक टल गई है. बताया जा रहा है कि अब यह बैठक कल होगी. बता दें कि पीएम की घोषणा के बाद किसान नेताओं में जश्न का माहौल है.
कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद किसान जोश में, विपक्ष हमलावर
सीमा पर मौजूद किसान एक-दूसरे को मिठाई खिलाते नजर आएं. वहीं किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा है कि किसान आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा. उनका कहना है कि हम उस दिन का इंतजार करेंगे, जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के घोषणा को लेकर भाजपा किसान मोर्चा पूरे प्रदेश में ट्रैक्टर रैली निकाल रही है, जिसका शुभारंभ शुक्रवार को मथुरा के रामलीला मैदान से सांसद हेमा मालिनी ने ट्रैक्टर चलाकर किया.
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बता दें कि मोदी सरकार ने इन कानूनों को जून, 2020 में सबसे पहले अध्यादेश के तौर पर लागू किया था. इस अध्यादेश का पंजाब में तभी विरोध शुरू हो गया था. इसके बाद सितंबर के मॉनसून सत्र में इसपर बिल संसद के दोनों सदनों में पास कर दिया गया. किसानों का विरोध और तेज हो गया. हालांकि इसके बावजूद सरकार इसे राष्ट्रपति के पास ले गई और उनके हस्ताक्षर के साथ ही ये बिल कानून बन गए. तबसे पंजाब-हरियाणा से शुरू हुआ किसान आंदोलन 26 नवंबर तक दिल्ली की सीमा पर पहुंच गया और आज तक यहां कई जगहों पर किसान मौजूद हैं और आंदोलन बड़ा रूप ले चुका है.
कृषि कानून वापसी से खुश हैं किसान मगर...गम के साये भी हैं
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