Farm Laws : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश के नाम संबोधन (PM Modi Address to nation) में तीनों कृषि कानूनों की वापसी का बड़ा ऐलान किया. गुरुपर्व के मौके पर पीएम की कृषि कानूनों को वापस लिए जाने (farm laws withdrawn) की घोषणा के बाद एक साल से दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों में खुशी की लहर छा गई. हालांकि राकेश टिकैत समेत संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया है कि वो संसद से कृषि कानूनों की वापसी का बिल पारित होने तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे. किसान नेताओं ने साथ ही एमएसपी पर कानूनी गारंटी, बिजली सुधार विधेयक समेत कई अन्य मुद्दों पर भी अपनी लड़ाई जारी रखने की हुंकार भरी है. वहीं विपक्ष ने इसे चुनावी कदम बताते हुए कहा है कि चुनाव में हार तय देख यह ऐलान किया गया है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ एक वीडियो ट्वीट किया. इसमें लिखा, "जीत उनकी भी है जो लौट के घर न आए...हार उनकी ही है जो अन्नदाताओं की जान बचा ना पाए...#FarmLawsRepealed, वहीं यूपी में कांग्रेस का चेहरा बनीं प्रियंका गांधी ने कहा कि बीजेपी को जब चुनाव में हार दिखने लगी तो कृषि कानूनों पर कदम वापस खींच लिए. प्रियंका ने कहा कि जब इस देश को हकीकत का अहसास होने लगा है,तब यह निर्णय आया. कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को आगे नहीं ले जा सकती. वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी जनता बीजेपी को माफ नहीं करेगी, बल्कि चुनाव में जनता उन्हें साफ करेगी.
जीत उनकी भी है
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 19, 2021
जो लौट के घर ना आए…
हार उनकी ही है
जो अन्नदाताओं की जान बचा ना पाए…#FarmLawsRepealed pic.twitter.com/Lzl61AHngR
हालांकि मोदी सरकार को कुछ समर्थन भी मिला. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पीएम मोदी के इस कदम का स्वागत किया. गवर्नर पद पर रहते हुए कृषि कानूनों को लेकर सरकार पर सवाल उठाने वाले सत्यपाल मलिक ने भी इसे देर आए दुरुस्त आए वाला कदम करार दिया.
इससे पहले पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि 'हम तीन नए कानून लाए गए थे मकसद था छोटे किसानों को और ताकत मिले. वर्षों से इसकी मांग हो रही थी. पहले भी कई सरकारों ने इन पर मंथन किया था. इस बार भी संसद में चर्चा हुई मंथन हुआ और यह कानून लाए गए. देश के कोने कोने में कोटि-कोटि किसानों ने अनेक किसान संगठनों ने इसका स्वागत किया समर्थन किया. मैं आज उन सभी का उन सभी का बहुत आभारी हूं, धन्यवाद करना चाहता हूं.'
पीएम ने कुछ यूं किया कानून वापस लेने की घोषणाइन कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा करने से ठीक पहले पीएम ने कुछ यूं अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, 'कोशिशों के बावजूद हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए, भले ही किसानों का एक वर्ग ही विरोध कर रहा था. हम उन्हें अनेकों माध्यमों से समझाते रहे... बातचीत होती रहे. हमने किसानों की बातों को तर्क को समझने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. हमने 2 साल तक इन नए कानूनों को सस्पेंड करने की भी बात करें आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में कोई कमी रही होगी जिसके कारण दिए के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए. हमने इन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है.'
पीएम ने कहा कि संसद के इसी शीतकालीन सत्र में सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरा कर देगी. यानी कि इस शीतकालीन सत्र में ये कानून आधिकारिक तौर पर हटा लिए जाएंगे.
पहले अध्यादेश फिर कानून और फिर आंदोलनबता दें कि मोदी सरकार ने इन कानूनों को जून, 2020 में सबसे पहले अध्यादेश के तौर पर लागू किया था. इस अध्यादेश का पंजाब में तभी विरोध शुरू हो गया था. इसके बाद सितंबर के मॉनसून सत्र में इसपर बिल संसद के दोनों सदनों में पास कर दिया गया. किसानों का विरोध और तेज हो गया. हालांकि इसके बावजूद सरकार इसे राष्ट्रपति के पास ले गई और उनके हस्ताक्षर के साथ ही ये बिल कानून बन गए. तबसे पंजाब-हरियाणा से शुरू हुआ किसान आंदोलन 26 नवंबर तक दिल्ली की सीमा पर पहुंच गया और आज तक यहां कई जगहों पर किसान मौजूद हैं और आंदोलन बड़ा रूप ले चुका है.
विपक्ष ने साधा निशाना
केंद्र सरकार द्वारा तीनों कानूनों को वापस लेने के फैसले के बाद विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा और किसानों को बधाई दी. इस कड़ी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ने ट्वीट किया, "किसानों के सत्याग्रह ने अहंकार को हरा दिया है. अन्याय पर इस जीत के लिए बधाई."
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