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This Article is From Jul 16, 2015

आसाराम मामला : गवाह कृपाल सिंह के परिवार ने प्रशासन से बंदूक रखने की इजाज़त मांगी

आसाराम मामला : गवाह कृपाल सिंह के परिवार ने प्रशासन से बंदूक रखने की इजाज़त मांगी
शाहजहांपुर: 10 जुलाई को शाहजहांपुर के रहने वाले इंश्योरेंस एजेंट कृपाल सिंह को उनके घर से कुछ ही दूर पर गोली मार दी गई थी, गोली कृपाल सिंह की रीढ़ की हड्डी में गोली लगी थी और उसके कुछ ही दिनों के बाद उनकी अस्पताल में मौत हो गई। कृपाल सिंह ने मरने से पहले अपने हत्यारों का नाम बता दिया था।

कृपाल सिंह आसाराम मामले में मारे गए तीसरे चश्मदीद हैं। आसाराम के खिलाफ़ चल रहे यौन उत्पीड़न के मामलों में अब तक नौ लोगों पर हमला किया जा चुका है और तीन चश्मदीदों की मौत हो चुकी है।

कृपाल सिंह के घर में उनकी गर्भवती पत्नी के अलावा एक छह साल का बेटा भी है। इस घटना के एक हफ्ते बाद भी अब तक न तो किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है, न ही कोई गवाह सामने आया है।

कृपाल सिंह उस नाबालिग लड़की के पिता के दोस्त थे जिन्होंने आसाराम पर उनकी बेटी के साथ उसके आश्रम में 15 अगस्त 2013 को यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। कृपाल सिंह के परिवार के अनुसार कृपाल ने कभी खुद की सुरक्षा की मांग नहीं की थी लेकिन अब उनका परिवार अपनी सुरक्षा के लिए बंदूक रखना चाहता है, जिसके लिए उन्होंने प्रशासन से लाईसेंस जारी करने की मांग की है।

सुरक्षा के लिए बंदूक मिले
एनडीटीवी से बात करते हुए कृपाल की पत्नी मोनी सिंह ने कहा, 'हमें ये बिल्कुल पता नहीं था कि वो आसाराम मामले में गवाह है। उसने कभी हमें इस बारे में कुछ नहीं बताया था, पिछले शुक्रवार को वो रोज़ की तरह काम पर गये लेकिन शाम को हमें पता चला कि उन्हें हमारे घर से एक किमी की दूरी पर गोली मार दी गई है।'

कृपाल सिंह के घर पर कुछ पुलिसवालों को भी नियुक्त कर दिया गया है लेकिन परिवार इसे पर्याप्त नहीं मानता है।

कृपाल के भाई शिवपाल कहते हैं, 'हम चाहते हैं कि सरकार उसकी पत्नी या हममें से किसी को बंदूक रखने का लाइसेंस दे, ताकि हम अपनी रक्षा कर सके। पुलिस आख़िर यहां कब तक रहेगी?'

पुलिस के मुताबिक, कृपाल सिंह का एक हमलावर राघव, लखनऊ स्थित आसाराम के आश्रम में छिपा हुआ था लेकिन जब उसे पता चला कि पुलिस को उसकी भनक लग गई है तो वो भाग निकला।

आसाराम अगस्त 2013 से जोधपुर के जेल में नाबालिग बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में बंद है,  इसके दो महीने बाद आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं पर दो बहनों के साथ सूरत के आश्रम में बलात्कार का भी आरोप लगा था जिसके बाद नारायण साईं भी गिरफ़्तार कर लिया गया था।  

इसी साल जनवरी महीने में आसाराम के सहयोगी और रसोईया रह चुके अखिल गुप्ता की दफ़्तर से घर लौटते वक्त हत्या कर दी गई थी। आसाराम के फ़िजिशियन अमृत प्रजापति को भी गुजरात में गोली मार दी गई थी। इसके अलावा छह अन्य लोगों पर भी जानलेवा हमले हो चुके हैं।

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