रेलवे ने 100 दिनों का खाका तैयार कर लिया है. एनडीटीवी को मिले डॉक्यूमेंट बता रहे हैं कि रेलवे निजीकरण की तरफ बढ़ने वाली है. साथ ही सुरक्षा और गति बढ़ाने पर भी ज़ोर रहेगा और टिकट में हो रहे घाटे से उबरने को लेकर सब्सिडी छोड़ने का विकल्प भी यात्रियों को दिया जाएगा. रेलवे ने अगर 100 दिन की अपनी योजना पर ठीक से अमल किया तो तीन महीने बाद दिल्ली और मुंबई के बीच 160 किलोमीटर की स्पीड से भी ट्रेनें चलेंगी. 15.5 घंटे का मौजूदा सफ़र 10 घंटे का रह जाएगा. इसी तरह दिल्ली हावड़ा के बीच का सफ़र 17 घंटे से घट कर 12 घंटे रह जाएगा. वैसे इस कार्य योजना में सबसे अहम मसला निजीकरण का है. इसके मुताबिक अब तक मंत्रालय की हरी झंडी पर दौड़ने वाली रेल प्राइवेट प्लेयर्स भी दौड़ा पाएंगे. रेलवे इसकी संभावना तलाशने में जुट गई है. अपने एजेंडे में रेलवे ने साफ साफ लिखा है कि इसका निर्धारण बिडिंग की प्रक्रिया के जरिये होगा. प्राइवेट ऑपरेटर्स पर सहमति बने इसके लिए रेलवे अपनी ट्रेड यूनियनों से भी बात करेगी. लेकिन ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ( AIRF) को इस पर आपत्त्ति है. AIRF के अध्यक्ष रखिल दास गुप्ता ने कहा है कि वह निजीकरण के विरोध में हैं.
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रेलवे ने अपने 100 दिन के मसौदे में क्या लिखा है
- 1603 स्टेशनों पर उपलब्ध wifi की सुविधा का विस्तार 6,485 रेलवे स्टेशनों तक किया जाएगा.
- अपने 7 प्रोडक्शन यूनिट का भी रेलवे निजीकरण करने की राह पर है जो स्वतंत्र रूप से लाभ कमाने वाली इकाई के तौर पर काम करेगी और यहां सीईओ की नियुक्ति की जाएगी.
- सेफ्टी के इंतजाम बेहतर हों इसको लेकर एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम की ओर भी काम किया जाएगा.
- 50 स्टेशनों के पुनर्विकास और पेपरलेस रेलवे की तरफ भी कदम बढ़ाने का विचार है.
- इन सब के अलावा रेलवे ने मन बनाया है कि मुसाफिरों से सब्सिडी छोड़ने को लेकर उनको 'गिव इट अप' का एक विकल्प दिया जाए जिससे टिकट में हो रहे घाटे की भरपाई की जा सके. इसको लेकर यात्रियों को राय बंटी है.
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बोलने से बच रहे हैं अधिकारी
रेलवे के अधिकारी सवालों को लेकर फिलहाल जवाब देने से बच रहे हैं पर रेलवे ने मसौदा तैयार कर लिया है. कुछ मुद्दों पर बात खींच भी सकती है पर प्राथमिकता तय है और उसको दिशा देने की कोशिश है. फिलहाल रेलवे ने अपनी दशा को लेकर खाका तो तैयार कर लिया है बस कोई खलल न पड़े तो फिर इसी दिशा में रेलवे आने वाले दिनों में आगे बढ़ने वाली है.
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