पूर्व कांग्रेस नेता एसएम कृष्णा (SM Krishna) ने रविवार को कहा कि जब यूपीए (UPA) की सरकार में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कुछ भी नहीं थे, तब भी उनका अतिरिक्त संवैधानिक प्रभुत्व ज्यादा था. एसएम कृष्णा ने 2009-2012 तक यूपीए सरकार में विदेश मंत्री थे. उनका कहना है कि राहुल गांधी के फैसले की वजह से उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि मंत्रालय के बंटवारों पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) कुछ भी नहीं कहते थे. न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक के मद्दुर में एसएम कृष्णा ने कहा, 'मैं 3.5 साल तक विदेश मंत्री था और मनमोहन सिंह ने उसको लेकर कुछ नहीं कहा था. राहुल गांधी उस वक्त कुछ भी नहीं थे और वह महासचिव भी नहीं थे. उन्होंने एक फरमान जारी किया कि 80 साल से ज्यादा उम्र के लोग मंत्री पद पर नहीं रह सकते. जब मैंने यह सुना तो मैंने इस्तीफा दिया और बेंगलुरू चला आया.'
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50 साल तक कांग्रेस से जुड़े रहने के बाद एसएम कृष्णा ने साल 2017 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ गए. एसएम कृष्णा ने साथ ही कहा कि राहुल गांधी सरकार में किसी के प्रति जवाबदेही नहीं थे. उन्होंने कहा, 'बहुत सारे मुद्दे थे, जिन्हें कभी भी मंत्रियों तक के सामने नहीं लाया गया. कैबिनेट एक अध्यादेश को पास करने के लिए उस पर चर्चा कर रहा था, लेकिन राहुल गांधी ने बाहर उस अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी. यह वह था जिसे वह अतिरिक्त संवैधानिक प्रभुत्व कहते हैं. वह किसी के प्रति जवाबदेही नहीं थे.'
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एसएम कृष्णा का कहना है कि कांग्रेस सरकार में घोटाले गठबंधन सरकार की वजह से हुए. उन्होंने कहा, 'यूपीए के दूसरे कार्यकाल में मैं विदेश मंत्रालय संभाल रहा था. वहां काम करने का माहौल नहीं था. वह गठबंधन की सरकार थी, जिसकी वजह से कोई एक दूसरे को कुछ नहीं कहता था. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, लेकिन उनका अपने मंत्रिमंडल पर कोई नियंत्रण नहीं था. इसलिए उस समय कई घाटाले हुए.'
(इनपुट- एएनआई)
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