EVM मशीनों में गड़बड़ी के आरोप : सुप्रीम कोर्ट ने बीएसपी को 2 हफ्ते का समय दिया (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:
ईवीएम (EVM) मशीनों में गड़बड़ी के आरोपों को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बसपा को जवाब दाखिल करने के लिए 2 हफ्ते का समय दिया. बसपा ने सुनवाई के दौरान कहा कि चुनाव आयोग ने अपनी तरफ से जवाब दाखिल कर दिया है और चुनाव आयोग ने जो जवाब दाखिल किया है, उस पर उन्हें भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाए.
दरअसल EVM मशीनों में गड़बड़ी के आरोपों को निराधार बताते हुए EVM को फुलप्रूफ बताते हुए चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पेपर ट्रेल के साथ 16 लाख से ज्यादा EVM मशीनों का इस्तेमाल करेगा. चुनाव आयोग ने ये भी भरोसा दिलाया है कि ये तकनीकी रूप से सक्षम EVM मशीनों से आम चुनाव प्रक्रिया और भी पारदर्शी होगी. हालांकि चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है कि दिसंबर में होने वाले गुजरात चुनाव में EVM के साथ VVPAT का इस्तेमाल होगा या नहीं.
पढ़ें- ईवीएम विवाद : महाराष्ट्र के कलेक्टर ने मानी EVM से छेड़छाड़ की बात, आरटीआई में खुलासा
EVM में गड़बड़ी के आरोपों पर आयोग ने कहा है कि तकनीकी सुरक्षा फीचर्स के साथ आयोग द्वारा प्रशासनिक स्तर पर उठाए गए कदम की वजह से EVM ना सिर्फ मतदान के वक्त फुलप्रूफ हैं बल्कि निर्माण के वक्त, स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन के वक्त भी सुरक्षित हैं. चुनाव आयोग ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों ने गड़बड़ी के आरोप तो लगाए हैं लेकिन इसे लेकर कोई सबूत नहीं दिया है.
यह भी पढ़ें- 2019 चुनावों में इस्तेमाल होंगी टेम्पर-डिटेक्ट वोटिंग मशीनें : जैदी
हलफनामे में बताया गया है कि खराब मशीनों का चुनाव में इस्तेमाल नहीं किया जाता. चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया है कि भारत की EVM मशीनों की तुलना विदेशों से नहीं की जा सकती क्योंकि विदेशों में इंटरनेट से जुडे कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है जिसे हैकिंग का खतरा बना रहता है. भारत में EVM अपनी तरह की हैं.
चुनाव आयोग का कहना है कि VVPAT का इस्तेमाल सबसे पहले 4 सितंबर 2013 को नागालैंड के विधानसभा चुनाव में किया गया. तब से अब तक 266 विधानसभा और 9 संसदीय क्षेत्रों में इसका प्रयोग किया जा चुका है. हाल ही में हुए पांच राज्यों में चुनाव के दौरान आयोग ने 53500 VVPAT का प्रयोग किया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट EVM में गडबडी के आरोपों पर दायर बीएसपी, समाजवादी पार्टी के विधायक और अन्य याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
दरअसल EVM मशीनों में गड़बड़ी के आरोपों को निराधार बताते हुए EVM को फुलप्रूफ बताते हुए चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पेपर ट्रेल के साथ 16 लाख से ज्यादा EVM मशीनों का इस्तेमाल करेगा. चुनाव आयोग ने ये भी भरोसा दिलाया है कि ये तकनीकी रूप से सक्षम EVM मशीनों से आम चुनाव प्रक्रिया और भी पारदर्शी होगी. हालांकि चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है कि दिसंबर में होने वाले गुजरात चुनाव में EVM के साथ VVPAT का इस्तेमाल होगा या नहीं.
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EVM में गड़बड़ी के आरोपों पर आयोग ने कहा है कि तकनीकी सुरक्षा फीचर्स के साथ आयोग द्वारा प्रशासनिक स्तर पर उठाए गए कदम की वजह से EVM ना सिर्फ मतदान के वक्त फुलप्रूफ हैं बल्कि निर्माण के वक्त, स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन के वक्त भी सुरक्षित हैं. चुनाव आयोग ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों ने गड़बड़ी के आरोप तो लगाए हैं लेकिन इसे लेकर कोई सबूत नहीं दिया है.
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हलफनामे में बताया गया है कि खराब मशीनों का चुनाव में इस्तेमाल नहीं किया जाता. चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया है कि भारत की EVM मशीनों की तुलना विदेशों से नहीं की जा सकती क्योंकि विदेशों में इंटरनेट से जुडे कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है जिसे हैकिंग का खतरा बना रहता है. भारत में EVM अपनी तरह की हैं.
चुनाव आयोग का कहना है कि VVPAT का इस्तेमाल सबसे पहले 4 सितंबर 2013 को नागालैंड के विधानसभा चुनाव में किया गया. तब से अब तक 266 विधानसभा और 9 संसदीय क्षेत्रों में इसका प्रयोग किया जा चुका है. हाल ही में हुए पांच राज्यों में चुनाव के दौरान आयोग ने 53500 VVPAT का प्रयोग किया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट EVM में गडबडी के आरोपों पर दायर बीएसपी, समाजवादी पार्टी के विधायक और अन्य याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
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