नई दिल्ली:
मनोज वशिष्ठ एनकाउंटर मामले में दिल्ली पुलिस के कमिश्नर ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही मुठभेड़ में शामिल टीम के तबादले की बात भी कही है।
इस खबर के आने के बाद मनोज वशिष्ठ का परिवार अंतिम संस्कार के लिए तैयार हो गया है।
इससे पूर्व खबर आई थी कि मनोज वशिष्ठ का परिवार उसका अंतिम संस्कार करने को तैयार नहीं हो रहा। उनका कहना था कि जब तक मुठभेड़ की सीबीआई जांच के आदेश नहीं दिए जाते तब तक वह मनोज के शव का दाह संस्कार नहीं करेंगे, हालांकि मुठभेड़ की जांच के लिए एसआईटी बना दी गई थी।
सोमवार को मुठभेड़ का सीसीटीवी फ़ुटेज सामने आया था, जिसमें यह साफ था कि पुलिस ने पहले मनोज को पकड़ने की कोशिश की ना कि मारने की। मनोज के परिवार का आरोप है कि वह अपराधी नहीं था और पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में उसे मार दिया।
देखें-एनकाउंटर का सीसीटीवी फुटेज
सीसीटीवी फुटेज में मनोज दो महिलाओं समेत चार लोगों के साथ राजेंद्र नगर के सागर रत्ना रेस्टोरेंट में बैठा है। जहां रात 8:15 मिनट पर स्पेशल सेल का एक इंस्पेक्टर और एक सब-इंस्पेक्टर दाखिल होता है। सबसे पहले इंस्पेक्टर मनोज को पकड़ने की कोशिश करता है और फिर सब- इंस्पेक्टर भी मनोज से उलझ पड़ता है। रेस्टोरेंट में अचानक भगदड़ मच जाती है। हाथापाई के बीच पहले सब-इंस्पेक्टर नीचे गिरता है, फिर मनोज गिरता है।
बेशक सीसीटीवी में फायरिंग की तस्वीरें नहीं हैं, पर इतना साफ है कि पुलिस ने पहले मनोज को पकड़ने की कोशिश की
न कि गोली चलाई। तस्वीरों से लगता है कि मनोज के दाएं हाथ में कोई हथियार था, जिसे पुलिस अपने कब्जे में लेना चाहती थी, लेकिन ये सब चंद सेकेंड में हुआ और मनोज मारा गया।
इस खबर के आने के बाद मनोज वशिष्ठ का परिवार अंतिम संस्कार के लिए तैयार हो गया है।
इससे पूर्व खबर आई थी कि मनोज वशिष्ठ का परिवार उसका अंतिम संस्कार करने को तैयार नहीं हो रहा। उनका कहना था कि जब तक मुठभेड़ की सीबीआई जांच के आदेश नहीं दिए जाते तब तक वह मनोज के शव का दाह संस्कार नहीं करेंगे, हालांकि मुठभेड़ की जांच के लिए एसआईटी बना दी गई थी।
सोमवार को मुठभेड़ का सीसीटीवी फ़ुटेज सामने आया था, जिसमें यह साफ था कि पुलिस ने पहले मनोज को पकड़ने की कोशिश की ना कि मारने की। मनोज के परिवार का आरोप है कि वह अपराधी नहीं था और पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में उसे मार दिया।
देखें-एनकाउंटर का सीसीटीवी फुटेज
सीसीटीवी फुटेज में मनोज दो महिलाओं समेत चार लोगों के साथ राजेंद्र नगर के सागर रत्ना रेस्टोरेंट में बैठा है। जहां रात 8:15 मिनट पर स्पेशल सेल का एक इंस्पेक्टर और एक सब-इंस्पेक्टर दाखिल होता है। सबसे पहले इंस्पेक्टर मनोज को पकड़ने की कोशिश करता है और फिर सब- इंस्पेक्टर भी मनोज से उलझ पड़ता है। रेस्टोरेंट में अचानक भगदड़ मच जाती है। हाथापाई के बीच पहले सब-इंस्पेक्टर नीचे गिरता है, फिर मनोज गिरता है।
बेशक सीसीटीवी में फायरिंग की तस्वीरें नहीं हैं, पर इतना साफ है कि पुलिस ने पहले मनोज को पकड़ने की कोशिश की
न कि गोली चलाई। तस्वीरों से लगता है कि मनोज के दाएं हाथ में कोई हथियार था, जिसे पुलिस अपने कब्जे में लेना चाहती थी, लेकिन ये सब चंद सेकेंड में हुआ और मनोज मारा गया।
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